सार
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 जुलाई को फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए। पीएम इस दौरे पर 26 राफेल-M लड़ाकू विमानों के साथ ही 3 स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बी की डील भी फाइनल कर सकते हैं। आखिर क्या है स्कॉर्पीन पनडुब्बी, जानते हैं।
Scorpene class submarine: भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार 13 जुलाई को फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए। पीएम मोदी 14 जुलाई को फ्रांस की 'बास्तील डे' परेड में बतौर चीफ गेस्ट शामिल होंगे। भारत के लिए इस बार का फ्रांस दौरा इसलिए भी अहम है, क्योंकि पीएम मोदी इसमें फ्रांस से 26 राफेल-M लड़ाकू विमानों के साथ ही 3 स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बी की डील भी फाइनल कर सकते हैं। आखिर क्या है 'स्कॉर्पीन क्लास' पनडुब्बी और क्या है इसकी खासियत, आइए जानते हैं।
क्या है स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी?
स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी युद्ध में कई तरह के खुफिया मिशन को पूरा करने के काम आती है। इसका रडार सिस्टम दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है और यही वजह है कि स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी रडार से बचने में सक्षम है। बता दें कि फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा भारत में छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है।
50 दिन पानी के भीतर रह सकती है स्कॉर्पीन पनडुब्बी
स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी की रेंज गति के मुताबिक तय होती है। अगर यह सतह पर 15 KM प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रही है तो 12 हजार KM बड़े आराम से चल सकती है। वहीं, पानी के भीतर 7.5 KM की रफ्तार से ये पनडुब्बी 1000 Km की रेंज तक जा सकती है। इसकी सबसे खास बात ये है कि लगातार 50 दिनों तक पानी के भीतर रह सकती है। इसमें 8 सैन्य अधिकारी और 35 नाविक जा सकते हैं।
पानी के अंदर समुद्री सुरंग बिछाने में सक्षम
स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी पानी के भीतर 30 समुद्री बारूदी सुरंग बिछा सकती है। इसमें एंटी-टॉरपीडों काउंटरमेजर सिस्टम लगाया गया है। इसके अलावा इसमें 533 मिमी के 6 टॉरपीडो ट्यूब्स लगे होते हैं। इनकी मदद से 18 एसयूटी टॉरपीडो या एसएम.39 एक्सोसेट एंटी-शिप मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं। इस क्लास की पनडुब्बियों में 4 MTU 12V 396 SE84 डीजल इंजन लगे होते हैं।
भारत के पास अभी कितनी स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी?
बता दें कि भारत के पास अभी 6 स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी हैं। इनमें सबसे पहले INS कलवारी है, जो 14 दिसंबर 2017 को नौसेना में शामिल हुई। इसके बाद दूसरी INS खंडेरी है, जो कि 28 सितंबर 2019 में शामिल हुई। तीसरी पनडुब्बी INS करंज है, जो 10 मार्च 2021 को नेवी में शामिल हुई। चौथी पनडुब्बी INS वेला है, जो 25 नवंबर 2021 को शामिल हुई। पांचवी INS वागीर है जो 23 जनवरी, 2023 को शामिल हुई। छठी पनडुब्बी का नाम INS वाग्शीर है, जो अभी नौसेना में शामिल नहीं हुई है।
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