सार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। बजट से पहले शेयर बाजार पर भी दबाव दिख रहा है। बुधवार को भी सेंसेक्स में 773 और निफ्टी में 226 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। ऐसे में बजट के बाद बाजार का क्या रुख होगा, आइए जानते हैं।
Budget 2023: साल 2023-24 का बजट आने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। बजट से पहले शेयर बाजार पर भी दबाव दिख रहा है। बुधवार को भी सेंसेक्स में 773 और निफ्टी में 226 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। दरअसल, बजट आने से ठीक पहले शेयर बाजार में अक्सर ही बिकवाली देखी जाती है। वैसे, पिछले 3 सालों का ट्रेंड देखें तो 2020 में बजट के दौरान मार्केट में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई थी। इसकी एक वजह कोरोना महामारी भी थी। हालांकि, इसके बाद से शेयर बाजार पॉजिटिव रिस्पांस ही दे रहा है।
पिछले 2 बजट शेयर बाजार के लिए रहे पॉजिटिव :
कोरोना महामारी के बाद पिछले दो बजट 2021 और 2022 की बात करें तो शेयर मार्केट के लिहाज से ये पॉजिटिव ही रहे हैं। इसकी एक वजह ये भी है कि कोरोना महामारी के दौरान भारत सरकार द्वारा किए गए उपायों से अर्थव्यवस्था एक बार फिर तेजी की ओर बढ़ने लगी है। यही वजह है कि पिछले दो साल के बजट के दौरान शेयर बाजार ने पॉजिटिव संकेत दिखाए हैं।
बाजार के लिए ये है चिंता वाली बात लेकिन..
शेयर मार्केट के लिए सबसे ज्यादा चिंता वाली बात विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार की जा रही बिकवाली है। इसका असर घरेलू निवेशकों पर भी दिखता है और वो बाजार में किसी भी तरह का जोखिम उठाने से डरने लगते हैं। इसके अलावा चीन में कोरोना संकट और रूस-यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से चल रहा युद्ध भी ग्लोबल इकोनॉमी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इन 3 कारणों से शेयर बाजार में दबाव देखा जा रहा है। हालांकि, अगर बजट में अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टरों को बूस्टअप मिलता है, तो बाजार में एक बार फिर तेजी लौट सकती है।
बजट से क्या चाहते हैं इन्वेस्टर्स?
- शेयर बाजार से जुड़े इन्वेस्टर्स चाहते हैं कि सरकार सिक्युरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) में राहत दे। इसके अलावा सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा फोकस करने की जरूरत है, क्योंकि इससे ही इकोनॉमी में डिमांड बढ़ेगी।
- इसके अलावा सरकार महंगाई को कंट्रोल में करने के और ज्यादा उपाय लागू करे। क्योंकि महंगाई बढ़ने का सीधा असर शेयर बाजार पर भी दिखता है। साथ ही इन्वेस्टर्स भी जोखिम लेने से कतराने लगते हैं।
- शेयर मार्केट में निवेश करने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स पर राहत चाहते हैं। यह दो तरह का होता है। शार्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स। बता दें कि किसी भी शेयर को एक साल से ज्यादा समय तक होल्ड रखने पर उससे होने वाली इनकम लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के तहत आती है। यानी उस पर टैक्स देना होता है। ऐसे में इन्वेस्टर चाहता है कि इसमें छूट मिले।
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