सार
महंगाई के मोर्चे पर राहतभरी खबर है। खुदरा (Retail Inflation) के बाद अब थोक महंगाई दर (Wholesale Inflation) में भी गिरावट देखी जा रही है। सरकार की ओर से बुधवार 14 जून को थोक महंगाई के आंकड़े जारी किए गए हैं।
Wholesale Inflation in May 2023: महंगाई के मोर्चे पर राहतभरी खबर है। खुदरा (Retail Inflation) के बाद अब थोक महंगाई दर (Wholesale Inflation) में भी गिरावट देखी जा रही है। सरकार की ओर से बुधवार 14 जून को थोक महंगाई के आंकड़े जारी किए गए हैं। इसके मुताबिक, मई में WPI घटकर -3.48% पर आ गई है। ये 2015 के बाद यानी पिछले 8 साल का निचला स्तर है। इससे पहले अक्टूबर, 2015 में थोक महंगाई -3.81% पर थी।
खुदरा महंगाई दर भी 25 महीने के निचले स्तर पर
मई महीने के लिए खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) की बात करें तो यह 4.25% के साथ 25 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। खाद्य महंगाई दर भी 2.91% पर आ चुकी है। इससे पहले अप्रैल में थोक महंगाई (-) 0.92 फीसदी रही थी।
क्यों बढ़ती है महंगाई?
महंगाई के बढ़ने या घटने पर किसी भी प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई का फॉर्मूला लागू होता है। साथ ही बाजार में जब लिक्विडिटी (नगद पैसा) ज्यादा होगा तो वे ज्यादा से ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजों के खरीदने से प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ती है। जब डिमांड ज्यादा हो जाती है और उसके अनुपात में उस चीज की सप्लाई नहीं हो पाती तो कीमतें बढ़ती हैं, जिससे महंगाई भी बढ़ती है। इसी तरह, जब डिमांड कम हो जाती है और सप्लाई बढ़ जाती है तो उस चीज की कीमत यानी महंगाई कम हो जाती है।
रिजर्व बैंक करता है महंगाई कंट्रोल करने के उपाय
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया महंगाई को काबू में करने के लिए बाजार से अतिरिक्त तरलता यानी लिक्विडिटी को खींच लेता है। इसके लिए RBI रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ा देता है। रेपो रेट बढ़ने से बैंकों को लोन महंगा मिलता है, जिससे वो भी लोन की ब्याज दरें बढ़ा देते हैं। ऐसे में मार्केट में कैश सीमित मात्रा में हो जाता है, जिससे महंगाई पर कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
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