सार
जाने-माने बिजनसेमैन और ब्रोकरेज फर्म Zerodha के को-फाउंडर नितिन कामथ ने हाल ही में अपने ससुर के साथ एक तस्वीर शेयर की है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। बता दें कि नितिन कामथ के ससुर सेना से रिटायर हैं और किराने की दुकान चलाते हैं।
Zerodha Co-Founder Nithin Kamath with Father in Law: देश के जाने-माने बिजनसेमैन और ब्रोकरेज फर्म Zerodha के को-फाउंडर नितिन कामथ (Nithin Kamath) ने हाल ही में अपने ससुर के साथ एक तस्वीर शेयर की है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस तस्वीर में नितिन कामथ अपने ससुर की किराने की दुकान पर खड़े होकर फोटो खिंचाते दिख रहे हैं। देश के इतने बड़े बिजनेसमैन का ये सादा अंदाज देख लोग उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं।
नितिन कामथ ने सुनाई ससुर की बहादुरी की कहानी
बिजनेसमैन नितिन कामथ ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें उन्होंने अपने ससुर की बहादुरी की कहानी बताई है। नितिन के मुताबिक, उनके ससुर शिवाजी पाटिल (Shivaji Patil) इंडियन आर्मी का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने करगिल की जंग में हिस्सा लिया था। इस जंग के दौरान उनके बाएं हाथ की उंगलियां कट गई थीं, जिसके बाद वो हवलदार के पद से रिटायर हुए।
करगिल की जंग में गंवाई उंगलियां
रिटायरमेंट के बाद नितिन कामथ के ससुर अब एक किराने की छोटी सी दुकान चलाते हैं। 70 साल के शिवाजी पाटिल के साथ zerodha के को-फाउंडर नितिन कामथ ने जो फोटो शेयर की है, उसमें वो हाफ पेंट में दुकान पर बैठ मुस्कुराते हुए पोज देते दिख रहे हैं। वहीं उनके बाजू में ससुर शिवाजी पाटिल और एक बच्चा खड़ा दिख रहा है। इस फोटो में शिवाजी पाटिल के बाएं हाथ की उंगलियां भी दिख रही हैं, जो उन्होंने करगिल की जंग में खो दी थीं।
बेलगाम में किराने की दुकान चलाते हैं मेरे ससुर
नितिन कामथ ने इस फोटो के साथ एक लंबा-चौड़ा नोट भी लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा- संतुष्ट रहना ही सच्ची स्वतंत्रता का एकमात्र तरीका है। एक व्यक्ति जो इसे मूर्त रूप देता है, वो मेरे ससुर शिवाजी पाटिल हैं। वे भारतीय सेना में थे और कारगिल युद्ध के दौरान अपनी उंगलियों को को खोने के बाद हवलदार के रूप में स्वेच्छा से रिटायर हुए थे। इसके बाद उन्होंने बेलगाम में एक किराने की दुकान खोल ली।
मेरी कामयाबी के बाद भी उन्होंने अपना काम बंद नहीं किया
नितिन कामथ ने आगे लिखा- मेरे ससुर 70 साल के हैं लेकिन दुकान के लिए किराने का सामान खरीदने आज भी अपने पुराने स्कूटर से जाते हैं। उनकी एकमात्र मददगार मेरी सास हैं, जो दुकान चलाने और घर संभालने में उनकी हेल्प करती हैं। मेरी और सास सीमा पाटिल की कामयाबी के बाद भी उन्होंने अपना काम बंद करने से मना कर दिया। जब मैं उनसे दुकान के अलग-अलग प्रोडक्ट्स के मार्जिन को लेकर पूछता हूं, तो वो खुशी-खुशी कहते हैं कि चिक्की पर 25% मार्जिन है। इसका एक बॉक्स 200 रुपए का आता है, लेकिन वो इसे अलग-अलग बेचकर इससे 250 रुपए कमा लेते हैं।
मेरे ससुर ने कभी कोई शिकायत नहीं की
नितिन कामथ के मुताबिक, मैंने अपने ससुर शिवाजी पाटिल को कभी कोई शिकायत करते हुए नहीं देखा। यहां तक कि उन्होंने करगिल की जंग में अपनी उंगलियां गंवाने के बाद भी कभी कोई शिकायत नहीं की। नितिन ने अपनी पोस्ट में शादी के वक्त का एक किस्सा शेयर करते हुए लिखा- जब मैंने 2007 में उनकी बेटी से शादी करने की परमिशन मांगी तो उन्होंने मुझसे सरकारी नौकरी के लिए प्रयास करने की बात कही थी। ये वो दौर था, जब मैं खुद स्ट्रगल कर रहा था।
संतुष्टि को पैसे से कभी नहीं खरीदा जा सकता
कामथ ने आगे लिखा- मैं अंत तक अच्छी जिंदगी जीने के तरीके के बारे में सोच रहा था। इसमें कोई संदेह नहीं कि संतुष्ट रहना है और मानसिक व शारीरिक रूप से सक्रिय रहना कभी बंद नहीं करना चाहिए। पैसा इसे नहीं खरीद सकता और वो इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं।