सार
24 फरवरी 2022 से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच दुनियाभर में महंगाई बढ़ी है। भारत की जीडीपी की वृद्धि अभी भी मजबूत है, लेकिन इसमें पर्याप्त गिरावट भी है। उन्होंने कहा कि पॉलिसी मेकर और सरकारें दुनियाभर में महंगाई को काबू में करने की कोशिश में लगे हैं।
वाशिंगटन। यूक्रेन और रूस युद्ध के बीच भारत में महंगाई चरम पर है। आईएमएफ (IMF) ने भी इस बात को माना है। आईएमएफ की एक वरिष्ठ अधिकारी ऐनी-मैरी गुल्डे-वुल्फ ने कहा कि यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण तेल की कीमतों में हुई तेजी के चलते भारत में महंगाई तेजी से बढ़ी है। पिछले महीने महंगाई 17 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। आईएमएफ का कहना है कि इस स्थिति को ठीक करने के लिए मौद्रिक सख्ती जरूरी है। उन्होंने संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करके वृद्धि क्षमता में सुधार पर भी जोर दिया।
8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है इकोनॉमी
आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग की कार्यवाहक निदेशक ऐनी-मैरी गुल्डे-वुल्फ ने कहा कि अभी जो अनुमान लगाए जा रहे हैं, उसके अनुसार 2022-23 में देश की अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। यह 0.8 प्रतिशत अंक कम है। वाशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि भारत की जीडीपी की वृद्धि अभी भी मजबूत है, लेकिन इसमें पर्याप्त गिरावट भी है। उन्होंने कहा कि पॉलिसी मेकर और सरकारें दुनियाभर में महंगाई को काबू में करने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन यूक्रेन में जारी युद्ध इसे लगातार बढ़ा रहा है। गौरतलब है कि भारत तेल और अन्य वस्तुओं के आयात पर निर्भर है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से अधिक तेल आयात करता है।
क्या करे सरकार
वुल्फ ने कहा कि इस संकट के वक्त में थोड़े समय के लिए कमजोर परिवारों की मदद करनी होगी। बुनियादी ढांचे के निवेश पर ध्यान देने की पॉलिसी सही है। उन्होंने मौद्रिक सख्ती करने के साथ ही और संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करने का सुझाव दिया है। हालांकि, केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले महीने ही गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। इसके तहत प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज दिया जाता है।
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