सार
क्या आपने बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करा रखा है, तो उसके ब्याज पर टीडीएस (TDS) लग रहा होगा। यह इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान एडजस्ट हो जाता है। आपकी आय तय लिमिट से कम है, तो आप बैंक ले टीडीएस नहीं काटने का आग्रह भी कर सकते हैं।
बिजनेस डेस्कः अगर आपने बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करा रखा है, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर आपको टीडीएस (TDS) लग रहा होगा। इसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान एडजस्ट किया जाता है। टीडीएस की कटौती तब नहीं की जाती, जब कोई इनकम टैक्स पेमेंट करने के दायरे में नहीं आता। वहीं एक वित्तीय वर्ष में फिक्स्ड डिपॉजिट पर अगर 40 हजार रुपए से ज्यादा ब्याज मिलता है, तो बैंक टीडीएस काट लेता है। सीनियर सिटिजन्स के लिए यह सीमा 50 हजार रुपए है।
यह फॉर्म टीडीएस कटौती से बचाएगा
फिक्स्ड डिपॉजिट पर टीडीएस की कटौती से बचने के लिए बैंक में फॉर्म 15G और फॉर्म 15H जमा करना जरूरी है। इस फॉर्म को हर साल जमा कराना होता है। इसके बाद ही इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने के दौरान बैंक द्वारा काटे गए टीडीएस को एडजस्ट कर दिया जाता है।
10 फीसदी काटा जाता है टीडीएस
बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटा जाता है। वहीं, अगर पैन (PAN) नहीं दिया गया हो तो 20 फीसदी की दर से टीडीएस कटता है। जो लोग 30 फीसदी के टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, उनके लिए सिर्फ 10 फीसदी टीडीएस की कटौती के बावजूद फॉर्म 15G और फॉर्म 15H जमा करना जरूरी होता है। वहीं जिन लोगों की आय तय लिमिट से ज्यादा नहीं है, वे बैंक को यह सूचना दे सकते हैं कि उनका टीडीएस नहीं काटा जाए।
इनकम लिमिट से कम वाले लोग भर सकते हैं ये फॉर्म
आयकर अधिनियम के मुताबिक फॉर्म 15G और फॉर्म 15H वे लोग ही जमा कर सकते हैं, जिनकी आय तय लिमिट से कम है। बता दें कि 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए 2.5 लाख रुपए तक आया करमुक्त है, वहीं 60 साल से ज्यादा और 80 साल से कम उम्र के लोगों के लिए 3 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स नहीं लगता। 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए 5 लाख रुपए की आय करमुक्त है।
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