सार
मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से देश में थोक महंगाई दर (Wholesale Inflation Rate) अक्टूबर में बढ़कर 12.54 फीसदी हो गई। खास बात तो ये है कि यह लगातार 7 वां महीना है जब देश में थोक महंगाई 10 फीसदी से ज्यादा देखने को मिली है।
बिजनेस डेस्क। थोक महंगाई के स्तर (Wholesale Inflation Rate) पर आम लोगों को बड़ा झटका लगा है। आंकड़ों के अनुसार सितंबर के मुकाबले थोक महंगाई में दो फीसदी की तेजी देखने को मिली है। जबकि कुछ दिन पहले आए रिटेल महंगाई (Retail Inflation) के आंकड़ों में भी हल्का इजाफा देखने को मिला था। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार की ओर से जारी हुए थोक महंगाई के आंकड़ें किस तरह के देखने को मिल रहे हैं।
थोक महंगाई में इजाफा
मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरीकी वह से देश में थोक महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 12.54 फीसदी हो गई। खास बात तो ये है कि यह लगातार 7 वां महीना है जब देश में थोक महंगाई 10 फीसदी से ज्यादा देखने को मिली है। जबकि सितंबर के महीने में यह दर 10.66 फीसदी थी, जबकि अक्टूबर 2020 में यह 1.31 फीसदी थी।
इस वजह से हुआ इजाफा
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अक्टूबर 2021 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, खाद्य उत्पादों, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, रसायनों और रासायनिक उत्पादों आदि की कीमतों में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना हुई बढ़ोतरी के कारण है। विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 12.04 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने 11.41 प्रतिशत थी।
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कच्चे तेल की कीमत में तेजी
इसी तरह ईंधन और बिजली की मूल्य वृद्धि अक्टूबर में 37.18 प्रतिशत थी, जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 24.81 प्रतिशत था। समीक्षाधीन माह के दौरान कच्चे तेल की मुद्रास्फीति 80.57 प्रतिशत रही, जबकि सितंबर में यह 71.86 प्रतिशत थी। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में भी मासिक आधार पर ऋणात्मक 1.69 प्रतिशत रही, जो सितंबर में ऋणात्मक 4.69 प्रतिशत थी।
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रिटेल महंगाई में भी आई थी मामूली
दो दिन पहले रिटेल महंगाई के आंकड़ें भी जारी हुए थे, जिसमें मामूली तेजी देखने को मिली थी। आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 4.48 फीसदी पर आ गई है। जबकि सितंबर के महीने में यहां आंकड़ा 4.35 फीसदी पर था। ताज्जुब की बात तो ये है कि एक सर्वेक्षण में इसके 6 महीने के निचले स्तर तक गिरने का अनुमान लगाया गया था। वहीं आरबीआई के अनुमान के अनुसार सीपीआई मुद्रास्फीति 2021-22 में 5.3 फीसदी के करीब रहने का अनुमान लगाया गया है। जबकि वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान रिटेल महंगाई 5.2 फीसदी पर रहने का अनुमान है।