सार
कोरोना संक्रमण के कारण 10वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द कर दी गई है लेकिन केन्द्र और राज्य के बीच 12वीं बोर्ड को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 3 जून तक के लिए टाल दी है।
करियर डेस्क. सीबीएसई बोर्ड (CBSE Board) के एग्जाम होंगे या नहीं इसे लेकर दो दिनों में बड़ा फैसला होगा। कोरोना संक्रमण (covid-19) के बढ़ते मामलों के कारण 12वीं की परीक्षा को स्थगित (Postponed) कर दिया गया था, जबकि 10वीं बोर्ड की परीक्षा को कैंसिल कर दिया गया था। परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई हुई। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- बोर्ड एग्जाम को लेकर दो दिनों में फैसला लिया जाएगा। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 3 जून तक के लिए टाल दी है।
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क्या कहा गया है याचिका में
कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए CBSE तथा ICSE की 12वीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाए। 28 मई को जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बैंच ने इस मामले में सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट ममता शर्मा को केंद्र, सीबीएसई और सीआईएससीई को एडवांस कॉपी देने को कहा था। केरल के एक शिक्षक ने भी एक और याचिका दायर की है जिस पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने की थी मीटिंग
हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 12वीं बोर्ड की परीक्षा को लेकर सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के एजुकेशन मिनिस्टर और एजुकेशन सेक्रेटरी के साथ मीटिंग की थी। इस मीटिंग में कई राज्य परीक्षा के पक्ष में थे जबकि कई राज्यों ने स्टूडेंट्स को वैक्सिनेशन के बाद एग्जाम करने की बात कही थी।
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एग्जाम कैंसिल कराने का क्या तर्क है?
- अधिकतर बच्चे और उनके माता-पिता एग्जाम कैंसिल कराने के पक्ष में हैं। उनका तर्क है कि जीने का अधिकार। यानी कोरोना से जान का खतरा है। ऐसे में अगर बच्चे एग्जाम देने जाते हैं तो उन्हें संक्रमित होने का खतरा है। ऐसे में जो भी एग्जाम में शामिल होंगे कोरोना की वजह से उनकी जिंदगी पर खतरा है।
- सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि अभी तक 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है। इससे उन्हें संक्रमण का ज्यादा खतरा है।
- याचिकाकर्ता ऑनलाइन एग्जाम के पक्ष में भी नहीं है। उनका तर्क है कि कई जगहों पर बच्चे गांव देहात में हैं। वहां एग्जाम देना उनके लिए मुश्किल हो जाएगा।
- कुछ ने तर्क दिया की एग्जाम के घंटे कम करा दिए जाए। इसपर बच्चों और माता-पिता ने कहा कि कोरोना से संक्रमित होने के लिए तो एक मिनट भी काफी है। फिर एग्जाम चाहे 3 घंटे का हो या फिर इससे कम समय का, कोई फर्क नही पड़ेगा।
सीबीएसई के पास क्या विकल्प है?
सीबीएसई के पास 12वीं के एग्जाम कराने के 2 विकल्प हैं। पहला मुख्य विषयों की परीक्षा सेंटर्स पर कराए और इनके आधार पर दूसरे बचे विषयों में नंबर दिया जाए। दूसरा, सभी विषयों के लिए 90 मिनट का समय मिले। पेपर्स में सिर्फ ऑब्जेक्टिव या शॉर्ट सवाल हों। 45 दिन में एग्जाम कराने का लक्ष्य रखा जाए।