सार
5 दशक से ज्यादा के राजनीतिक करियर में खड़गे की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती है। अब तक वह सिर्फ एक बार ही चुनाव हारे हैं। खड़गे लगातार 9 बार विधानसभा का चुनाव और दो बार लोकसभा का चुनाव जीते। जानें उनका पॉलिटिकल करियर..
करियर डेस्क : 24 साल बाद आज कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की वोटिंग (Congress President Election) हो रही है। कांग्रेस (Congress) के दो दिग्गज नेताओं के बीच मुकाबला है।सीनियर लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और शशि थरूर (Shashi Tharoor) में से खड़गे का पलड़ा भारी माना जा रहा है। खड़गे कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं। लगातार 9 बार एक ही सीट से विधायक चुने गए और लगातार दो बार से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच रहे हैं। कर्नाटक राज्य की राजनीति में पकड़ रखने वाले खड़के ने लॉ की पढ़ाई की है। आइए जानते हैं उनका एजुकेशन और पॉलिटिकल करियर..
कर्नाटक का 'सोलिलादा सरदारा' मल्लिकार्जुन खड़गे
80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म 21 जुलाई, 1942 में आज के कर्नाटक के बीदर जिले के वरवत्ती गांव में हुआ था। ब्रिटिश राज में वह हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में आता था। महज 7 साल की उम्र में ही खड़के को एक साम्प्रादियक दंगे में मां और फैमिली को खोना पड़ा। घर में जो एक-दो सदस्य किसी तरह बच गए, उन्हें वहां से कलबुर्गी जिले में आकर बसना पड़ा। कर्नाटक के कद्दावर नेताओं में उनकी गिनती होती है। उनके कद का अंजादा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें कर्नाटक का 'सोलिलादा सरदारा' यानी 'अजेय सरदार' के नाम से जाना जाता है।
न्यूटन स्कूल से पढ़ाई, कानून की डिग्री
मल्लिकार्जुन खड़गे की स्कूलिंग गुलबर्गा के न्यूटन स्कूल से हुई। कलबुर्गी के गवर्नमेंट कॉलेज से उन्होंने बीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद कलबुर्गी के सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉजेल से लॉ की डिग्री हासिल की और यूनियन पॉलिटिक्स में एंट्री ली और कॉलेज महासचिव बने। 1960 के दशक की बात है, जब 1969 में एमएसके मिल्स इम्प्लॉयीज यूनियन के लीगल एडवाइजर बनकर अपनी पकड़ मजबूत बना ली। कुछ ही दिन बीते होंगे जब उनकी गिनती संयुक्त मजदूर संघ के सबसे दिग्गज नेताओं में होने लगी। इसी साल खड़गे कांग्रेस में शामिल हुए और गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमिटी के प्रेसीडेंट बनाए गए।
मल्लिकार्जुन खड़गे का पॉलिटिकल करियर
- साल 1971 में खड़गे पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे। गुरमितकल विधानसभा सीट से उन्होंने चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद बैक टू बैक वे चुनाव जीतते गए और तब से लेकर 2014 तक चुनाव में जीत हासिल करते गए। साल 2008 तक खड़गे लगातार 9 बार कर्नाटक विधानसभा का चुनाव जीत चुके थे।
- 2009 में कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया और कर्नाटक की गुलबर्गा से मैदान में उतारा। खड़के पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे और जीत हासिल कर संसद पहुंचे।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता और अपना दमखम दिखाया। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी जीत का सिलसिला टूट गया और बीजेपी उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा। उनके कद को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा में भेज दिया।
- खड़गे जब तक कर्नाटक में रहे, उनका सिक्का राज्य की राजनीति में चलता रहा। वे राज्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री रहे लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। साल 1994 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए और 2008 में भी इस जिम्मेदारी को निभाया।
- साल 2008 में उन्हें कर्नाटक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 2009 में सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे तब मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाली।
- 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। जब 2019 के लोकसभा का चुनाव हार गए तो राज्यसभा पहुंचे और गुलाम नबी आजाद के बाद नेता प्रतिपक्ष बने।
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