सार

'राष्ट्रीय एकता की संकल्पना और सरदार पटेल' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि सरदार पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी महाराज के शौर्य का समावेश था।

 नई दिल्ली. ''भारत जैसा कोई देश नहीं है, जो इतना विविध, बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक हो। ज्ञान-विज्ञान से समृद्ध भारत आज मंगल से लेकर चंद्रमा तक अपनी छाप छोड़ रहा है। न्यू इंडिया (New India) के सपने को पूरा करने का सिर्फ एक ही मंत्र है, 'एक भारत श्रेष्ठ भारत'।'' यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने संगीत नाटक अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith), वाराणसी के सहयोग से राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान व्यक्त किए। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार में स्टांप तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, चेन्नई के पूर्व कुलपति राममोहन पाठक, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया में सहायक प्राध्यापक किंशुक पाठक एवं पांचवा स्तंभ के सह संपादक  संजय कुमार मिश्रा ने भी हिस्सा लिया। 

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'राष्ट्रीय एकता की संकल्पना और सरदार पटेल' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि सरदार पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी महाराज के शौर्य का समावेश था। यह उनके संवाद कौशल का ही परिणाम था कि बिना शक्ति का उपयोग किए उन्होंने रियासतों में बिखरे भारत को एकजुट किया और उन्हें एकता के सूत्र में पिरोया। सरदार पटेल चाहते थे कि आजादी के बाद का भारत बिना किसी संकीर्ण विचार, जाति, पंथ, धर्म या भाषा आधारित विभाजन के एकजुट रहे।

उन्होंने कहा भारत आज दुनिया से अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है। दुनिया की बड़ी आर्थिक और सामरिक शक्ति बनने की तरफ हिन्दुस्तान आगे बढ़ रहा है। यह अगर संभव हो पाया है, तो उसके पीछे सरदार पटेल का बहुत बड़ा योगदान है। युवाओं का आह्वान करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक ने कहा कि आज भारतीयों ने अपनी मेहनत से खुद को साबित किया है। दुनिया के हर मंच पर भारत की क्षमता और प्रतिभा की गूंज है। एकजुट उद्यम से ही देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है।

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इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार में स्टांप तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने कहा कि जिस प्रकार हम अपने खेत और अपने घर की रक्षा करते हैं, यदि वैसे ही हम अपने देश की रक्षा का संकल्प लें, तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें नियंत्रित नहीं कर सकती। देश की एकता और मजबूती के लिए यह जरूरी है कि हम सभी में आत्मत्याग की भावना हो।

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, चेन्नई के पूर्व कुलपति  राममोहन पाठक ने कहा कि सरदार पटेल संवाद और संचार जैसी युक्तियों के प्रयोक्ता थे। उनकी इसी गंभीरता ने स्वतंत्र भारत में एक महाभारत होने से रोक दिया। दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया में सहायक प्राध्यापक  किंशुक पाठक ने कहा कि युवाओं के लिए पटेल का व्यक्तित्व अनुकरणीय है। यदि सरदार पटेल नहीं होते, तो आज भारत का जो स्वरूप है, वह शायद नहीं होता। पांचवा स्तंभ के सह संपादक  संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि सरदार पटेल के आदर्शों और पदचिन्हों पर चलते हुए उनके कार्यों को आगे बढ़ाने और राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास करने की आवश्यकता है।