सार

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लंबे समय से चली आ रही मांग को मान लिया है। एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में इसी साल से आरक्षण की सुविधा दे दी है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं किया गया है कि जिन बच्चों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा, उनके लिए कितने स्पॉट अलग से रखे गए हैं।
 

करियर डेस्क : जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंकी घटनाओं में अपनों को खोने वाले बच्चों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। अब डॉक्टरी की पढ़ाई में उन्हें कोटा दिया जाएगा। यानी अब घाटी में आतंकवाद से प्रभावित छात्र-छात्राओं को MBBS-BDS कोर्स में एडमिशन के लिए आरक्षण दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल इंट्रेंस एग्जामिनेशन की तरफ से इसको लेकर एक विस्तृत आदेश भी जारी किया गया है। इस आदेश में बताया गया है कि मेडिकल कोर्स में आतंकवाद से प्रभावित बच्चों को केंद्रीय पूल सिस्टम के आधार पर रिजर्वेशन दिया जाएगा।

कोटा के लिए अलग से आवेदन
इस आदेश के अनुसार, ऐसे बच्चे जिन्होंने घाटी में हुई आतंकी घटनाओं में अपनों को खो दिया है और अनाथ हो गए हैं, वे एमबीबीएस और बीडीएस के कॉलेजों में एडमिशन में आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे। इस आरक्षण का फायदा उन्हें ही मिलेगा, जिन्होंने कम से कम मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास की है। उन्हें कोटे के लिए अलग से आवेदन भी करना होगा। जो छात्र कोटे के लिए आवेदन करेंगे, उनका सेलेक्शन मेरिट के आधार पर किया जाएगा। मौजूदा शैक्षणिक वर्ष में सेंट्रल पूल का आवेदन 11 नवंबर, 2022 से शुरू हो जाएगा।

आरक्षण कोटे के लिए कौन कर सकता है आवेदन

  1. ऐसे बच्चे जिन्होंने आतंकवादी हमलों में माता-पिता दोनों को खो दिया है।
  2. जम्मू-कश्मीर में तैनात केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को।
  3. आतंकी घटनाओं में विकलांगता का शिकार हुए।
  4. केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों के बच्चे जो कि वहीं के निवासी हैं।
  5. फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी में 50 प्रतिशत अंक के साथ 12वीं पास
  6. नीट 2022 में कम से कम 50 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र

 
आतंकी घटनाओं से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित
बता दें कि पिछले कई दशकों से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का साया था। वहां के निवासियों के आरक्षण की मांग को केंद्र सरकार ने पूरा कर दिया है। सरकार के फैसले के पीछे की वजह यह भी है कि पिछले कुछ सालो से आतंक के चलते यहां के बच्ंचो की पढ़ाई प्रभावित हुई है। इसमें सबसे ज्यादा परेशान वे बच्चे हुए हैं, जिन्होंने आतंकी घटनाओं में अपने मां-बाप को खो दिया। घाटी में आतंकवाद के चलते कई सैनिक और पुलिसकर्मी भी मारे गए, उनके भी बच्चों की मांग थी की मेडिकल की पढ़ाई में उन्हें आरक्षण दिया जाए।

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