सार
कर्नाटक के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों, कॉलेजों में छात्र आज से हर दिन भातीय संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे। अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के अवसर पर कर्नाटक सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना है।
करियर डेस्क. अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाने के लिए, कर्नाटक राज्य सरकार ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां विधान सौध की सीढ़ियों पर संविधान की प्रस्तावना को जोर से पढ़ा गया। इस महत्वपूर्ण गतिविधि को अब पूरे कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में अनिवार्य कर दिया गया है, जिसके तहत छात्रों को आज से प्रतिदिन संविधान की प्रस्तावना का पाठ करना होगा।
2.27 करोड़ प्रतिभागियों ने कराया रजिस्ट्रेशन
कर्नाटक, भारत और दुनिया भर के लोगों सहित 2.27 करोड़ प्रतिभागियों ने इस प्रस्तावना को पढ़ने की पहल के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। संविधान की प्रस्तावना पंचायतों से लेकर मंत्रालयों तक फैले विभिन्न कार्यालयों में गूंजेगी। यहां तक कि एसोसिएशन, निगम, बहुराष्ट्रीय कंपनियां, सरकारी विभाग और बैंक भी अपने-अपने स्थानों पर संविधान की प्रस्तावना का पाठ करने के लिए प्रतिबद्ध होकर भागीदारी के लिए सूचीबद्ध हुए हैं। जिला कलेक्टर इस पहल का नेतृत्व करेंगे। इस कार्यक्रम को मिला जबरदस्त समर्थन वास्तव में उल्लेखनीय है, जिसमें देश के कोने-कोने से आए नागरिकों ने अपना उत्साह दिखाया है। नीचे, देखें संविधान की प्रस्तावना , जिसे स्कूलों और कॉलेजों में प्रतिदिन पढ़ा जाना है:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
“हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा,
उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढाने के लिए,
दृढसंकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”
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