School Toppers vs Slow Learners: कौन बनता है लाइफ का असली सुपरस्टार?
Childhood Success Myths: किसी बच्चे का बचपन में टॉप करना इस बात की गारंटी नहीं कि भविष्य में भी उसे वैसी ही सफलता मिले। नए रिसर्च में इस बारे में बहुत कुछ बताया गया है। जानिए अपने जीवन में किस तरह के लोग सबसे ज्यादा सफल होते हैं।

हम अक्सर सोचते हैं कि जो बच्चे स्कूल या खेल-कूद में टॉप करते हैं, वही बड़े होकर सुपरस्टार बनते हैं। लेकिन नई रिसर्च इसे गलत साबित करती है। रिसर्च के अनुसार जानिए कौन लोग अपने जीवन में सबसे अधिक सक्सेसफुल होते हैं?
जर्मनी के काइजर्सलाउटर्न-लैंडाऊ यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने 34,000 से ज्यादा वर्ल्ड-क्लास एक्सपर्ट्स का डेटा देखा। इसमें नोबेल पुरस्कार विजेता, ओलंपिक मेडलिस्ट, शतरंज ग्रैंडमास्टर और मशहूर म्यूजिशियन शामिल थे।
रिसर्च में पता चला कि बचपन के टॉप बच्चे और बड़े होकर टॉप करने वाले लोग अक्सर अलग होते हैं। यानी, बचपन में टॉप करना भविष्य की सफलता की गारंटी नहीं है।
जो लोग बाद में अपने फील्ड में बड़े बनते हैं, वे बचपन में हमेशा टॉपर नहीं होते। ये बच्चे अलग-अलग चीजों को आजमाते हैं और जल्दी एक्सपर्ट नहीं बनते। धीरे-धीरे सीखने और बढ़ने की आदत ही लंबी सफलता की कुंजी है।
इतिहास से उदाहरणों की बात करें तो, अल्बर्ट आइंस्टीन ने बचपन में बोलने में देरी की और एवरेज परफॉर्मर थे, लेकिन बाद में ‘Father of Relativity’ बने। स्टीव जॉब्स, जे के रॉउलिंग, माइकल जॉर्डन, वॉल्ट डिजनी बचपन में स्कूल टॉपर नहीं थे, लेकिन बड़े होकर अपनी दुनिया में चमक गए।
लगातार अभ्यास जरूरी है, लेकिन बचपन में ही सफलता की शुरुआत करना जीवन में मिलने वाली सफलता की गारंटी नहीं। यानी, माता-पिता बच्चों पर सिर्फ प्रैक्टिस का दबाव न डालें।
बच्चों पर शुरुआती दबाव इसलिए खतरनाक है क्योंकि बचपन में किसी एक चीज पर बहुत जोर देना मानसिक तनाव बढ़ाता है। ऐसे में बाद में उनका प्रदर्शन रुक सकता है या बर्नआउट हो सकता है। लंबी सफलता के लिए विविधता और संतुलन जरूरी है। इसलिए बच्चों की रुचियों का सम्मान करना जरूरी है।

