सार
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का पिछले तीन वर्षो में मध्याह्न भोजन योजना के तहत आपूर्ति किये गए खाद्यान्न के संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय पर 559 करोड़ रूपये बकाया है और शेष राशि के बारे में मंत्रालय ने 400 करोड़ रूपये की आवर्ती निधि का प्रावधान किया है
नई दिल्ली: भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का पिछले तीन वर्षो में मध्याह्न भोजन योजना के तहत आपूर्ति किये गए खाद्यान्न के संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय पर 559 करोड़ रूपये बकाया है और शेष राशि के बारे में मंत्रालय ने 400 करोड़ रूपये की आवर्ती निधि का प्रावधान किया है।
खाद्य, उपभोक्ता मामलों एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने संसद की एक समिति को यह जानकारी दी। संसद के शीतकालीन सत्र में अनुदान की मांग पर खाद्य, उपभोक्ता मामलों एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मध्याह्न भोजन योजना के तहत आपूर्ति किये गए खाद्यान्न के संदर्भ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 2016-17 में 676.52 करोड़ रूपये की राशि प्राप्त हुई जबकि इस दौरान शेष राशि 220.22 करोड़ रूपये थी। वर्ष 2017-18 में प्राप्त राशि 552.91 करोड़ रूपये थी और शेष राशि 179.05 करोड़ रूपये थी । वर्ष 2018-19 में प्राप्त राशि 487.88 करोड़ रूपये और शेष राशि 160.22 करोड़ रूपये थी।
कुल बकाया राशि 559 करोड़ रूपये
इस प्रकार से तीन वर्षो में मंत्रालय पर कुल बकाया राशि 559 करोड़ रूपये थी। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मामले में शेष राशि के संबंध में मंत्रालय द्वारा 400 करोड़ रूपये की आवर्ती निधि प्रदान की गई है।’’ गौरतलब है कि आवर्ती निधि एक विशेष प्रकार की सावधि राशि है जिससे प्रति माह या प्रति वर्ष एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है।
इसी प्रकार से सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय को आपूर्ति किये गए खाद्यान्नों के लिये बड़ी धनराशि बकाया है ।
सीमा का कड़ाई से पालन नहीं किया जाता
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘समिति यह नोट करके अत्यधिक चिंतित है कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिये एफसीआई द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को भुगतान के आधार पर दिये गए खाद्यान्नों के लिये इन मंत्रालयों पर एफसीआई की बड़ी राशि देय है।’’ इसमें कहा गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की मध्याह्न भोजन योजना के संबंध में विकेंद्रीकृत भुगतान के लिय 20 दिन की समयसीमा है लेकिन मानव संसाधन विकास / जिला प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित सीमा का कड़ाई से पालन नहीं किया जाता है।
समिति पाती है कि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग एवं एफसीआई द्वारा उठाये गए विभिन्न कदमों एवं संबंधित मंत्रालयों/ विभागों के साथ नियमित पत्राचार करने के बावजूद बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया । अत: समिति एफसीआई को देय बकाया राशि का यथासंभव समयबद्ध तरीके से भुगतान करने की सिफारिश दोहराती है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)