सार
इस बैठक में सभी शिक्षकों ने पीड़ितों की मदद के लिए कुछ सुझाव रखें। जिसमें कहा गया कि, हर शिक्षक न्यूनतम एक दिन के वेतन का योगदान करके बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएगा। वे सभी धर्मो के हिंसा पीड़ितों तक पहुंचेंगे और उनकी मदद करेंगे।
नई दिल्ली. राजधानी में हाल में हुए दंगों में पीड़ितों की मदद के लिए जामिया यूनिवर्सिटी के शिक्षक सामने आए हैं। जामिया टीचर्स एसोसिएशन (जेटीए) ने मंगलवार 3 मार्च, 2020 को डॉ. एम. ए. अंसारी सभागार में एक आपातकालीन जनरल बॉडी मीटिंग (जीबीएम) रखी। मीटिंग का एजेंडा दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में पीड़ितों की मदद और मृतकों के प्रति सामूहिक संवेदना प्रकट करना था। इस मीटिंग में शिक्षकों ने तय किया कि वो अपनी एक दिन की सैलरी देकर पीड़ित बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे।
इससे पहले 29 फरवरी, 2020 को जामिया शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल सहायता वितरित करने के लिए हिंसा प्रभावित इलाकों में गया था। प्रतिनिधिमंडल ने जीबीएम में अपनी रिपोर्ट पेश की और हिंसा में पीड़ितों की व्यथा सुनाई।
पीड़ितों को दर्द समझना जरूरी
टीचर्स ने कहा कि मुस्तफाबाद इलाके का दौरा करते समय महिलाओं, बच्चों और अन्य द्वारा उठाई जा रही पीड़ा को बयां करना मुश्किल है। जेटीए ने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए सांप्रदायिक दंगों को भड़काने वालों की सर्वसम्मति से निंदा की। इसके साथ ही उन्होंने पीड़तों और उनके बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने की बात कही।
अब मदद करना सबसे महत्वपूर्ण
धार्मिक समुदायों के बीच एकता और प्रेम भाव भारतीयों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। जामिया के शिक्षकों ने कहा कि यही वो समय है जब हम आम भारतीय एकजुट होकर धार्मिक विविधता को बचाने के लिए, नफरत फैलाने वालों के खिलाफ संघर्ष करें।
हर एक शिक्षक सैलरी देकर खर्चा उठाएगा
इस बैठक में सभी शिक्षकों ने पीड़ितों की मदद के लिए कुछ सुझाव रखें। जिसमें कहा गया कि, हर शिक्षक न्यूनतम एक दिन के वेतन का योगदान करके बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएगा। वे सभी धर्मो के हिंसा पीड़ितों तक पहुंचेंगे और उनकी मदद करेंगे।कोष निर्माण और उसके उपयोग के लिए कानूनी तंत्र बनाया जाएगा।हिंसा प्रभावित क्षेत्र में नष्ट हुए स्कूलों को फिर से बनाने / पुनर्जीवित करने में मदद की जाएगी।
बनाए जाएंगे दोबारा स्कूल
हिंसा पीड़ितों की स्नातक तक की पढ़ाई में सहायता करने के लिए शिक्षकों ने संकल्प लिया। गरीब विक्रेताओं की पुनर्वास के प्रयासों में मदद करने की बात की गई। ये टीचर अपने खर्चों में कटौती कर पीड़ितों की मदद करेंगे।