सार
अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन की पहली महिला चीफ टेक्नोलॉजी अफसर बन कर मोनिषा घोष ने जो उपलब्धि हासिल की है, उससे भारत के युवाओं के लिए वे प्रेरणा की स्रोत बन गई हैं। उन्हें आज यूथ आइकॉन के रूप में देखा जा रहा है।
करियर डेस्क। भारतीय मूल की डॉक्टर मोनिषा घोष ने अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन की पहली महिला चीफ टेक्नोलॉजी अफसर बन कर जो उपलब्धि हासिल की है, उससे वह देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। आज उन्हें यूथ आइकॉन के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि मोनिषा घोष 13 जनवरी, 2020 को चीफ टेक्नोलॉजी अफसर (सीटीओ) का पद संभालेंगी। फिलहाल, इस कमीशन के चेयरमैन भी भारतीय मूल के अजीत पई हैं। डॉक्टर मोनिषा घोष ने 5जी टेक्नोलॉजी के प्रयोग को लेकर अमेरिका में काफी काम किया है। इस क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें यह पद दिया गया है।
डॉक्टर मोनिषा घोष ने साल 1986 में आईआईटी खड़गपुर से बीटेक किया था। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की। फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन में सीटीओ बनने के पहले वह नेशनल साइंस फाउंडेशन के कम्प्यूटर नेटवर्क डिविजन में प्रोग्राम डायरेक्टर के पद पर थीं। इस दौरान उन्होंने वायरलेस नेटवर्किंग सिस्टम्स में मशीन लर्निंग के प्रोग्राम पर भी काम किया। डॉक्टर मोनिषा घोष यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में वायरलेस टेक्नोलॉजी की रिसर्च प्रोफेसर भी रह चुकी हैं। उन्होंने इंटरनेट के विविध पहलुओं, 5जी और मॉडर्न वाई-फाई सिस्टम को लेकर भी रिसर्च का काम किया है।
फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन के चेयरमैन अजीत पई का कहना है कि डॉक्टर मोनिषा घोष 5जी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगी। उन्हें वायरलेस टेक्नोलॉजी की गहरी समझ है और उन्होंने इस फील्ड में काफी रिसर्च किया है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि डॉक्टर मोनिषा घोष का अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन की पहली महिला चीफ टेक्नोलॉजी अफसर बनना एक बड़ी उपलब्धि है।