सार
कारगिल युद्ध (Kargil war) के हीरो सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) को उनकी अनुकरणीय सेवा और भारतीय सेना में योगदान के लिए 75 वें स्वतंत्रता दिवस (75th Independence day) की पूर्व संध्या पर कैप्टन रैंक की उपाधि से सम्मानित किया गया।
करियर डेस्क : परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) से सम्मानित सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) को उनकी अनुकरणीय सेवा और भारतीय सेना में योगदान के लिए 75 वें स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2021) की पूर्व संध्या पर कैप्टन रैंक की उपाधि से सम्मानित किया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने बहादुरी के साथ देश की सुरक्षा के लिए अहम योगदान दिया था। जिसके लिए सूबेदार मेजर यादव को 19 साल की उम्र में ही देश के सबसे बड़े सैन्य पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। आइए आज आपको बातते हैं, इस वीर जवान की कहानी के बारे में...
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव ने जो बहादुरी दिखाई, वह भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी गई है। दरअसल, 4 जुलाई 1999 को 18 ग्रेनेडियर्स के सूबेदार यादव ने द्रास इलाके में टाइगर हिल पर कब्जा जमा लिया था। यह उस वक्त दुश्मनों पर बड़ा प्रहार था, जिन्होंने घुसपैठ कर वहां कब्जा कर लिया था। टाइगर हिल की लड़ाई के दौरान उन्हें पैर, छाती, कमर और हाथ में 15 बार मारा गया। यहां तक कि उनकी नाक पर भी चोट आई थी। कारगिल युद्ध में योगेंद्र सिंह यादव को 15 गोली लगी थीं, इसके अलावा उनके शरीर पर दो हैंड ग्रेनेड के घाव थे। लेकिन उनके साहस के आगे दुश्मनों को घुटने टेकना पड़ा। इस युद्ध के बाद वह 1 साल तक अस्पताल में भर्ती थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच यह संघर्ष 3 महीने तक चला था, जिसके लिए चार लोगों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इनमें से एक सूबेदार-मेजर योगेंद्र सिंह यादव भी थे। उनके अलावा सूबेदार संजय कुमार, कैप्टन विक्रम बत्रा और लेफ्टिनेंट मनोज पांडे को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इस युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा और लेफ्टिनेंट मनोज पांडे शहीद हो गए थे। जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। जबकि, सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव और सूबेदार संजय कुमार इस जंग में बच गए।
इस स्वतंत्रता दिवस पर, भारतीय सेना ने कुल 337 सेवारत गैर-कमीशन अधिकारियों को मानद कैप्टन रैंक से सम्मानित किया है, जबकि 1358 को मानद लेफ्टिनेंट रैंक से सम्मानित किया गया।
ये भी पढ़ें- 1947 बंटवारे की 15 Shocking Pics, 10 लाख लोग न इधर के रहे और न उधर के; बीच रास्ते में ही मार दिए गए
PM ने बंटवारे को बताया भयंकर त्रासदी, 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाया जाएगा 14 अगस्त