सार
पूरे देश में आज रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है, ये दिन खासतौर पर भाई-बहन के प्रेम और स्नेह के लिए मनाया जाता है। भाई तो बहनों का रक्षाकवच होते ही हैं कई बार बहनें भी भाइयों की ढाल बन जाती हैं। ऐसे ही एक बहन अपने हाथों से व्हीलचेयर खींचकर भाई को शहर लेकर गई। वही भाई आज अफसर की कुर्सी पर बैठा है।
करियर डेस्क. IRAS Aaditya Jha success story: पूरे देश में आज रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है, ये दिन खासतौर पर भाई-बहन के प्रेम और स्नेह के लिए मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाइयों पर जमकर प्यार लुटाती हैं। घरों में खुशहाली जमती है। भाई तो बहनों का रक्षाकवच होते ही हैं कई बार बहनें भी भाइयों की ढाल बन जाती हैं। ऐसे ही एक बहन अपने हाथों से व्हीलचेयर खींचकर भाई को शहर लेकर गई। वही भाई आज अफसर की कुर्सी पर बैठा है। अपने इंटरव्यू में उसने बहन के सहयोग औऱ प्यार का आभार जताया था। रक्षाबंधन के अवसर पर आपको भाई-बहन के प्यार और सहयोग की ये प्रेरणा भरी कहानी जरूर पढ़नी चाहिए-
इलाहाबाद में इस लड़के को लोग संस्कृत पढ़ने और बोलने की वजह से गंवार समझते थे। इसी लड़के ने संस्कृत में सिविल सर्विस पास कर इतिहास रच दिया। इतना ही नहीं उसे व्हील चेयर पर बैठा उसकी बहन इंटरव्यू दिलवाने अकेले खींचकर लेकर गई थी। संस्कृत के विद्वानों के परिवार में पला-बढ़ा ये लड़का बड़ा अधिकारी बन चुका है। IAS, IPS सक्सेज स्टोरी में हम आपको बिहार के आदित्य कुमार झा के संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं।
बिहार के सुदूर मधुबनी ज़िले के एक गांव लखनौर में जन्में आदित्य कुमार झा के पिताजी संस्कृत के प्रोफेसर रहे हैं। घर में सभी संस्कृत के विद्वान शिक्षक ही हुए। आदित्य खुद तीन भाई हैं। पिताजी ने आगे बढ़ने के लिए उन्हें कक्षा 6 में बड़े भाई के साथ इलाहाबाद भेज दिया। इलाहाबाद पहुंचने के बाद आदित्य ने मन में सिविल सर्विस पास करने की ठान ली।
उनके बड़े भाई खुद UPSC की तैयारी में जुटे थे तो आदित्य को भी शौक चढ़ गया। इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने भूगोल, संस्कृत एवं राजनीति विज्ञान को BA के विषय के रूप में चयनित किया। फिर MA करने के वो दिल्ली गए। उस समय सीसैट को ट्रेंड में देख उन्होंने दिल्ली में इसकी कोचिंग ली।
फिर आदित्य ने राज्य सिविल सेवा की ओर रुख किया। इसी बीच IB में सहायक सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर के रूप में पहली सफलता प्राप्त हुई। यह निर्णय किया कि IB जॉइन नहीं करनी है। इस बात पर उनके पिताजी नाराज भी हो गए। सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम प्रयास 2015 की मेन एग्जाम आदित्य ने पूरे उत्साह से दिया।
आदित्य बताते हैं कि मैंने 2015 के मुख्य परीक्षा में फेल होने के बाद साल 2016 की परीक्षा दी। टेस्ट सीरीज, सामान्य अध्ययन भी औसत से बेहतर हो चली थी। मुख्य परीक्षा में संतोषजनक प्रदर्शन के उपरांत एटा जिले में जिला बचत अधिकारी के रूप में जॉइन कर लिया।
यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में सफल होने पर आदित्य के परिवार के लोग बहुत खुश थे। आदित्य ने वैकल्पिक विषय के रूप में संस्कृत को चुना और UPSC में सफलता पाई। उसी रात लगभग 9 बजे वो एक दुर्घटना का शिकार हो गए और पैर फ्रैक्चर हो गया। फिर अगले दो माह बिस्तर पर पड़े-पड़े इंटरव्यू की तैयारी की। इंटरव्यू के ठीक पहले पैर में फ़्रैक्चर हो जाने पर भी आत्मविश्वास नहीं खोया और व्हीलचेयर पर बैठकर इंटरव्यू देने की ठानी।
यहां मॉक इंटरव्यू के लिए आदित्य की बड़ी बहन उन्हें व्हीलचेयर पर बैठाकर लेकर गईं। मुखर्जी नगर से राजेन्द्र नगर जगह-जगह घूमकर वो दोनों पहुंचे। आखिरकार सफलता मिली और दिल्ली एवं अंडमान-निकोबार सिविल सेवा’ में चयनित हो गए।
अंतिम परिणाम में जैसे ही आदित्य ने अपना नाम 503वें स्थान पर देखा तो मानो सहसा विश्वास नहीं हुआ। इसी उत्साह को निरन्तर रखते हुए सिविल सेवा परीक्षा 2017 की मुख्य परीक्षा दी और IRAS के प्रशिक्षण को जॉइन किया। 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में 431 रैंक पर DANICS सेवा हेतु चयन प्राप्त हुआ। इतना ही नहीं आदित्य साल 2018 में भी यूपीएससी की परीक्षा दे चुके हैं और उन्होंने 339 रैंक हासिल की थी। आदित्य के जज्बे से देश के युवाओं को सीख लेनी चाहिए।