सार

अगर लक्ष्य को हासिल करने का जज्बा हो और कड़ी मेहनत करने की क्षमता तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी राह रोक नहीं सकती और आखिरकार सफलता मिल कर ही रहती है। इसका उदाहरण पेश किया है गुजरात के एक छोटे-से गांव के रहने वाले युवक सफीन ने। सफीन महज 22 साल की उम्र में देश के पहले सबसे कम उम्र के आईपीएस अधिकारी बन गए।

करियर डेस्क। अगर लक्ष्य को हासिल करने का जज्बा हो और कड़ी मेहनत करने की क्षमता तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी राह रोक नहीं सकती और आखिरकार सफलता मिल कर ही रहती है। इसका उदाहरण पेश किया है गुजरात के एक छोटे-से गांव के रहने वाले युवक सफीन ने। सफीन महज 22 साल की उम्र में देश के पहले सबसे कम उम्र के आईपीएस अधिकारी बन गए। आईपीएस ऑफिसर बनना सफीन के लिए आसान नहीं था। आर्थिक परेशानियों और उचित मार्गदर्शन की कमी के बावजूद इतनी कम उम्र में बड़ी सफलता हासिल कर सफीन ने इतिहास रच दिया। अभी हाल ही में उन्होंने 23 दिसंबर, 2019 को गुजरात के जामनगर जिला के एएसपी के रूप में कार्यभार संभाला है।

सफीन का बचपन बहुत संघर्षों से भरा रहा। उनके माता-पिता एक कंपनी में हीरा तराशने का काम करते थे। इसी बीच, उनकी जॉब छूट गई। इससे काफी परेशानी होने लगी। इस दौरान उनके पिता ने ठेला लगा कर अंडे और चाय बेचने का काम किया, वहीं उनकी मां ने होटलों में रोटियां बनाई। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने बेटे का हौसला लगातार बढ़ाया। 

सफीन हसन को इस सेवा में आने की प्रेरणा तब मिली, जब उन्होंने देखा कि उनके गांव में जिलाधिकारी दौरे पर आए हुए थे। उनकी शान-शौकत और अधिकारों को देख कर उसी वक्त सफीन ने सोच लिया कि वे इसी सेवा में आएंगे। फिर आगे की पढ़ाई के दौरान उन्होंने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमेशा मेहनत की। 

सफीन हसन का कहना है कि उन्हें लोगों की काफी मदद मिली। उन्होंने बताया कि उनकी आर्थिक हालत अच्छी नहीं होने के कारण हाई स्कूल के प्रिंसिपल ने उनकी 80 हजार रुपए की फीस माफ कर दी थी। जब वे यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, तब गुजरात के प्रसिद्ध पोलरा परिवार ने दो साल तक उनका खर्च उठाया और उनकी कोचिंग की फीस भी दी। सफीन का कहना है कि इस मदद के बिना सफलता पाना उनके लिए मुश्किल होता। 

सफीन कहते हैं कि पहली बार जब वे परीक्षा देने जा रहे थे तो एक दुर्घटना के शिकार हो गए। बावजूद उन्होंने परीक्षा दी, लेकिन फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। सफीन हसन कहते हैं कि गुजरात पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास कर वे जिला रजिस्ट्रार बन गए थे, लेकिन उनका सपना आईएएस या आईपीएस अधिकारी बनना था। उन्होंने इसके लिए तैयारी जारी रखी। आखिरकार, साल 2018 की परीक्षा में उन्होंने 570वीं रैंक के साथ सिविल सेवा की परीक्षा पास की और आईपीएस अधिकारी बन गए।