सार
अगर मेहनत करने का जज्बा हो और लक्ष्य को हासिल करने का दृढ़ संकल्प तो कोई भी मुसीबत सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। इसे साबित किया उत्तर प्रदेश के एक किसान के बेटे ने, जिसने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की।
करियर डेस्क। अगर मेहनत करने का जज्बा हो और लक्ष्य को हासिल करने का दृढ़ संकल्प तो कोई भी मुसीबत सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। इसे साबित किया उत्तर प्रदेश के एक किसान के बेटे ने, जिसने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। बता दें कि उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के रहने वाले वीर प्रताप सिंह राघव एक किसान के बेटे हैं और यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए इन्हें सूद पर कर्ज भी लेना पड़ा, लेकिन इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। तमाम कठिनाइयों के बावजूद इन्होंने अपना मनोबल और आत्मविश्वास बनाए रखा और साल 2018 की यूपीएससी परीक्षा में 92वीं रैंक हासिल की।
होगा आईएएस में चयन
वीर प्रताप सिंह राघव को यूपीएससी परीक्षा में 92वीं रैंक मिली है, इसलिए उन्हें भरोसा है कि आईएएस संवर्ग जरूर मिलेगा। राघव का कहना है कि हाईस्कूल पास करने के बाद ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में शामिल होने का लक्ष्य तय कर लिया था। वे आईएएएस अधिकारी बनना चाहते थे। लंबे संघर्ष के बाद अब उनका यह सपना पूरा होने जा रहा है। इस साल अप्रैल महीने में जब यूपीएससी परीक्षा का रिजल्ट घोषित हुआ तो उन्होंने अपने संघर्षों और सफलता को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी लिखी थी जो काफी पसंद की गई। इसका मकसद उन युवाओं को प्रेरित करना था जो संसाधनों की कमी के चलते यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाते।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ली डिग्री
प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा पूरी होने के बाद राघव ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया। वहां से उन्होंने साल 2015 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। लेकिन उनका लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा को पास करना था। उन्होंने इसके लिए 2016 और 2017 में भी परीक्षा दी। इंजीनियरिंग का स्टूडेंट होते हुए भी उन्होंने वैकल्पिक विषय के तौर पर दर्शन शास्त्र लिया था। बता दें कि 2018 की मुख्य परीक्षा का जब रिजल्ट आया तो दर्शन शास्त्र में उन्हें सबसे ज्यादा 500 में 306 अंक मिले थे।
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता
राघव को बचपन से ही पढ़ाई के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें गांव से 5 किलोमीटर दूर पैदल स्कूल जाना पड़ता था। रास्ते में उन्हें नदी भी पार करनी पड़ती थी। वीर प्रताप सिंह राघव ने प्राथमिक शिक्षा आर्य समाज के स्कूल से पूरी की। हाईस्कूल की शिक्षा उन्होंने शिकारपुर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर से की। संघर्ष में बड़े भाई ने भी उनका साथ दिया। वे भी आईएएस बनना चाहते थे, लेकिन आर्थिक संकट के चलते उन्होंने सीआरपीएफ की नौकरी कर ली। वीर प्रताप सिंह कहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। जब तक पूरे समर्पण के साथ कोशिश नहीं की जाएगी, सफलता पाने में संदेह बना रहता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात वे कहते हैं कि अगर आपने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए दृढ़ निश्चय कर लिया है तो कोई भी बाधा आपका रास्ता नहीं रोक सकती।