सार

कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से लंबे समय से न सिर्फ स्कूल, बल्कि कॉलेज और यूनिवर्सिटीज भी बंद हैं। केंद्र सरकार ने अनलॉक 4.0 के दौरान ही कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को खोलने की मंजूरी दे दी थी। इसे लेकर अब यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने गाइडलाइन्स जारी की है। 
 

करियर डेस्क। कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से लंबे समय से न सिर्फ स्कूल, बल्कि कॉलेज और यूनिवर्सिटीज भी बंद हैं। केंद्र सरकार ने अनलॉक 4.0 के दौरान ही कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को खोलने की मंजूरी दे दी थी। इसे लेकर अब यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने गाइडलाइन्स जारी की है। केंद्र सरकार ने कहा था कि राज्य सरकार स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक चरणबद्ध तरीके से खोल सकते हैं। सरकार ने हर राज्य को इसके बारे में गाइडलाइन तय करने के लिए कहा था। अब कई राज्यों में स्कूल-कॉलेज खोले जा रहे हैं। पंजाब और हरियाणा में 16 नवंबर से कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में क्लासेस शुरू हो जाएंगी, वहीं पश्चिम बंगाल ने दिसंबर में शिक्षण संस्थानों को खोलने का फैसला किया है। जहां तक सेंट्रल यूनिवर्सिटीज का सवाल है, उन्हें खोलने और कक्षाएं शुरू करवाने का निर्णय उनके कुलपतियों पर छोड़ा गया है। जाहिर है, केंद्र सरकार और यूजीसी की मंजूरी के बावजूद स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए ही उच्च शिक्षण संस्थान खोले जाएंगे। 

क्या हैं यूजीसी की गाइडलाइन्स
केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स में सिर्फ यह बताया गया था कि राज्य सरकार चरणबद्ध तरीके से शिक्षण संस्थानों को खोल सकते हैं, लेकिन यूजीसी ने इसे लेकर विस्तार से गाइडलाइन्स जारी की है। यूजीसी का कहना है कि कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज को खोलने के बाद उन्हें स्थानीय प्रशासन और हेल्थ डिपार्टमेंट से तालमेल बिठा कर रखना होगा, ताकि किसी इमरजेंसी की स्थिति में हालात से निपटने में उन्हें परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। यूजीसी ने अपनी गाइडलाइन्स में तीन स्तर पर योजना बनाने के लिए कहा है। पहला केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर, दूसरा संस्था प्रमुख के स्तर पर और तीसरा शिक्षकों के स्तर पर। यूजीसी ने एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) बनाने के लिए कहा है। अपनी गाइडलाइन्स में यूजीसी ने सबसे पहले रिसर्च स्कॉलर्स, साइंस और टेक्नोलॉजी के पोस्टग्रैजुएट स्टूडेंट्स और फाइनल ईयर के अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स को कॉलेज या यूनिवर्सिटी पहुंचने को कहा है, जिनका प्लेसमेंट होना है।

क्या होगा बदलाव
कॉलेज और यूनिवर्सिटी के गेट पर थर्मल मशीन रखी जाएगी और सभी का टेम्परेचर चेक किया जाएगा। सभी के लिए मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना जरूरी होगा। एक समय में सिर्फ 50 फीसदी स्टूडेंट ही संस्थान में आ सकेंगे। क्लासरूम, लाइब्रेरी, डाइनिंग हॉल और हॉस्टल में एक साथ कितने स्टूडेंट रहेंगे, यह संस्थान के प्रमुख तय करेंगे। हर संस्थान को हेल्थ डिपार्टमेंट से को-ऑर्डिनेशन करना होगा। सांस्कृतिक गतिविधियां और मीटिंग्स नहीं होंगी। बहुत जरूरी होने पर ही हॉस्टल खोले जाएंगे। रूम शेयरिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर कोई स्टाफ या स्टूडेंट कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसे आइसोलेट किया जाएगा। हॉस्टल लौटने वाले स्टूडेंट्स को 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन किया जाएगा। कैम्पस में रहने वाले स्टूडेंट्स को बाहर जाने से बचना होगा। साथ ही, अगर कोई स्टूडेंट बीमार महसूस करता है तो उसे घर पर ही रहना होगा। सभी स्टूडेंट्स के फिजिकल और मेंटल हेल्थ को उनके टीचर मॉनिटर करेंगे। 

अटेंडेंस को लेकर यूजीसी की गाइडलाइन
शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों में स्टूडेंट्स के लिए अटेंडेंस को अनिवार्य नहीं किया है। यूजीसी की गाइडलाइन्स में भी इसे लेकर कोई बात नहीं कही गई है। यूजीसी की गाइडलाइन्स में कहा गया है कि ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले को ऑनलाइन स्टडी मटेरियल मुहैया करवाना होगा। वहीं, विदेशी स्टूडेंट्स के लिए योजना बनानी होगी, जो कोरोना महामारी और वीजा संबंधी प्रतिबंधों के कारण स्टडी प्रोग्राम में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। उनके लिए ऑनलाइन टीचिंग की व्यवस्था की जा सकती है।