सार
कहते हैं कि सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती। कुछ लोग, खास कर औरतें सोचती हैं कि शादी और बाल-बच्चे हो जाने के बाद करियर में आगे बढ़ना संभव नहीं हो सकता, लेकिन हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली अनु कुमारी ने 4 साल के बच्चे की मां होने के बावजूद यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर इसे गलत साबित कर दिया।
करियर डेस्क। कहते हैं कि सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती। कुछ लोग, खास कर औरतें सोचती हैं कि शादी और बाल-बच्चे हो जाने के बाद करियर में आगे बढ़ना संभव नहीं हो सकता, लेकिन हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली अनु कुमारी ने 4 साल के बच्चे की मां होने के बावजूद यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर इसे गलत साबित कर दिया। सबसे बड़ी बात तो यह रही कि उन्होंने 2017 की यूपीएससी परीक्षा में सेकंड टॉपर का स्थान हासिल किया।
लोगों की सोच को साबित किया गलत
31 साल की अनु की शादी एक बिजनेसमैन से हुई थी। जब उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में पूरे देश में दूसरा स्थान हासिल किया तो वे 4 साल के एक बच्चे की मां थीं। लोग कहते थे कि बच्चे और परिवार की जिम्मेदारी संभालते हुए यूपीएससी की कठिन परीक्षा में सफलता पाना आसान नहीं, पर अनु ने अपनी मेहनत और संकल्प शक्ति की बदौलत उन्हें गलत साबित कर दिया। उन्होंने सेकंड टॉपर बन कर सफलता का वह परचम लहराया, जिसके बारे में लोगों ने कल्पना तक नहीं की थी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया ग्रैजुएशन
अनु कुमारी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से फिजिक्स में ग्रैजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने आईएमटी, नागपुर से एमबीए किया और गुड़गांव की एक कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। लेकिन कॉलेज के दिनों से ही उनका लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बनना था। उन्होंने नौकरी करते हुए सिविल सर्विसेस एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी। उस समय उनका बेटा डेढ़ साल का था। तैयारी के लिए कुछ समय तक उन्होंने उसे अपने मायके में मां-पिता के पास छोड़ दिया और अपनी मौसी के घर रह कर तैयारी करने लगीं।
10 से 12 घंटे तक करती थीं पढ़ाई
अनु को लगा कि नौकरी करते हुए वे सही तरीके से यूपीएससी की तैयारी नहीं कर पाएंगी। इसलिए उन्होंने नौकरी भी छोड़ दी और अपना पूरा समय तैयारी पर लगाने लगीं। वे कहती हैं कि उन्होंने रोज अमूमन 10 से 12 घंटे तक पढ़ाई की। इस मेहनत, लगन और निष्ठा का परिणाम सामने आया। यूपीएससी एग्जाम में सेकंड टॉपर बनने के बाद उन्होंने कहा कि सफलता संकल्प शक्ति और मेहनत से मिलती है। उन्होंने ठान लिया था कि हर हाल में इस परीक्षा में सफलता हासिल करनी है। उनका सपना था कि आईएएस अधिकारी बन कर वे महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में हर संभव प्रयास करेंगी।