सार
देव आनंद 26 सितंबर 1923 को पंजाब (ब्रिटिश भारत) के शंकरगढ़ में हुआ था, जो कि गुरदासपुर का तहसील था। लेकिन 1947 में पाकिस्तान के अलग होने के बाद वो वहां का हिस्सा बन गया था।
मुंबई.एवरग्रीन सुपरस्टार देव आनंद आज भले ही दुनिया में ना हों लेकिन वे अपनी बेहतरीन फिल्मों, अलग अंदाज और शानदार एक्टिंग के जरिए वो हमेशा लोगों के बीच जिंदा रहेंगे। 26 सितंबर को उनकी बर्थ एनीवर्सरी है। उनका 26 सितंबर 1923 को पंजाब (ब्रिटिश भारत) के शंकरगढ़ में हुआ था, जो कि गुरदासपुर का तहसील था। लेकिन 1947 में पाकिस्तान के अलग होने के बाद वो वहां का हिस्सा बन गया था। देव साहब ने अपने करियर में 116 फिल्मों में काम किया। फिल्मों के साथ-साथ वो उनके कई किस्से भी रहे, जिनकी वजह से वे खूब चर्चा में रहे, तो आइए जानते हैं वो 5 किस्से...
काले कोट पर रोक
इन किस्सों में देव आनंद का सबसे चर्चित किस्सा है कि फिल्म 'काला पानी' के बाद एक्टर के काले रंग का कोट पहनने से रोक लगा दी गई। कहा जाता है कि वो काले रंग के कोट में बेहद हैंडसम लगते थे और उन्हें देखने के लिए लड़कियां छत से कूद जाती थीं। इसलिए उन्हें काला कोट पहने से रोका गया था।
सेट पर सुरैया को किया था प्रपोज
एक बार देव आनंद फिल्म 'विद्या' की शूटिंग कर रहे थे। इस दौरान एक्टर को सुरैया से प्यार हो गया था। ऐसे में कहा जाता है कि देव आनंद ने फिल्म के सेट पर तीन हजार रुपए किसी से उधार लेकर एक अंगूठी खरीदी और उसे देकर सुरैया को प्रपोज किया, लेकिन सुरैया की नानी इस शादी के खिलाफ थीं। नतीजा ये हुआ कि सुरैया सारी उम्र कुंवारी रहीं।
बिग-बी के साथ कभी नहीं किया काम
देव आनंद को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने बिग-बी को छोड़कर हर बड़े स्टार्स के साथ काम किया था। ये बात सभी को चौंका तो देती है लेकिन सच बताया जाता है। साथ ही आपको यह भी बता दें कि अमिताभ बच्चन जिस 'जंजीर' फिल्म से स्टार बने, उसके लिए पहले देव साहब को चुना गया था।
बहन का रोल करने के लिए नहीं तैयार थी कोई एक्ट्रेस
देव आनंद की दिवानगी लोगों के बीच इस तरह से थी कि उनकी फिल्म 'हरे राम हरे कृष्ण' में उनकी बहन का रोल करने के लिए कोई फेमस एक्ट्रेस तक काम करने के लिए तैयार नहीं थी। जब कई लड़कियों के स्क्रीन टेस्ट किए गए तो एक्टर को मन मुताबिक कोई चेहरा नहीं मिल रहा था। ऐसे में इसी दौरान उनकी मुलाकात जीनत अमान से हुई और देव साहब उनसे बातचीत कर रहे थे कि जीनत ने उन्हें हैंडबैग से सिगरेट निकालकर दी। उनकी यही अदा देव साहब को भा गई और उन्होंने जीनत को अपनी फिल्म के लिए साइन कर लिया।
खुद को स्क्रीन पर मरा हुआ नहीं देखना चाहते थे देव साहब
इन किस्सों में कहा यह भी जाता है कि देव आनंद खुद को स्क्रीन पर कभी मरा हुआ नहीं दिखना चाहते थे, क्योंकि वो भारत से बाहर अंतिम सांस लेना चाहते थे। अंत में हुआ भी कुछ ऐसा ही देव आनंद का लंदन में दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ था।