सार
छत्तसीगढ़ के एक अपाहिज बच्चे को इटली के एक दंपती ने गोद लिया है। चार साल पहले इस बच्चे को माता-पिता एक अस्पताल में लावारिस छोड़कर चले गए थे। क्योंकि मासूम बचपन से अपाहिज था।
दुर्ग (छत्तसीगढ़). किसी का बच्चा चाहे विकलांग हो या अन्य कोई बीमारी से ग्रसित हो। पर मां-बाप को वह उतना ही प्यारा होता है जितना दूसरे बच्चे होते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा मामला सामने आया है कि एक दंपति अपने 11 महीने के बेटे को इसलिए लावारिस छोड़ दिया, क्योंकि वह जन्म से अपाहिज था। लेकिन अब वह मासूम विदेश में रहेगा, क्योंकि उसको इटली से आई दंपति ने गोद ले लिया है।
माता-पिता ने चार साल पहले छोड़ दिया था लावारिस
दरअसल, ये मामला दुर्ग शहर का है, करीब चार साल पहले एक दंपित ने अपने बच्चे को विकलांग समझकर एक अस्पताल में अकेला छोड़ कर चल दिए थे। राज्य के महिला बाल विकास ने बच्चे की देखभाल करने के लिए एक सामाजिक संस्था मातृछाया को सौंप दिया। संस्था की सही देखरेख की बदौलत वह अभी तक पूर्ण रूप से स्वस्थ है।
अब पूरी दुनिया देखेगा ये बच्चा
संस्था के डॉ सुधीर हिशीकर ने बताया कि हम अनाथ और दिव्यांग बच्चों की जानकारी इंटरनेट पर अपलोड करते हैं। ताकि कोई जरुरतमंद दंपति उनको गोद लेने के लिए उसने संपर्क कर सके। कुछ दिन पहले इस बच्चे की प्रोफाइल देखकर एक इटली के पति-पत्नी ने हमसे संपर्क किया और उन्होंने इस बच्चे को गोद लेने की बात कही। फिर विदेश दंपती से सारी कानूनी एंव कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद इस बच्चे को गोद ले लिया। उन्होंने कहा-हमें कोई संतान नहीं है, हम उसको अपने बेटे की तरह जिंदगी भर साथ रखेंगे और उसकी पढ़ाई कराएंगे। डॉ सुधीर हिशीकर ने बताया कि इटैलियन दंपति में पति आर्किटेक्ट और पत्नी हैं फीजियोथैरेपिस्ट है।