सार

ओमिक्रोन (omicron) के बाद कोरोना संक्रमण (corona virus) के नए वैरिंएट नियोकोव को लेकर दुनियाभर में चिंताएं बढ़ रही हैं। लेकिन इसे लेकर आ रही रिसर्च में सामने आया है कि इसने अभी तक किसी इंसान को संक्रमित नहीं किया है।

नई दिल्ली. दुनिया में कोरोना संक्रमण (corona virus) के वैरिएंट ओमिक्रोन (omicron) को लेकर चिंताएं अभी बनी ही हुई थीं कि एक नए वैरिएंट ने खतरा पैदा कर दिया है। दक्षिण अफ्रीका में मिले नए वैरिएंट नियोकोव(Neokov) को सबसे खतरनाक माना जा रहा है। हालांकि इसे लेकर वैज्ञानिकों को जो रिसर्च और पड़ताल सामने आ रही है, उसने राहत की सांस दी है।

किसी इंसान को संक्रमित नहीं किया
महाराष्ट्र राज्य कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य और इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ शशांक जोशी ने नियोकोव को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि नियोकोव एक पुराना वायरस है जो ‘मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (मर्स) से करीबी रूप से संबद्ध है। नियोकोव वायरस चमगादड़ के एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम 2 (एसीई 2) रिसेप्टर्स का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन यह तभी मुमकिन है, जब उसमें कोई नया उत्परिवर्तन (New Mutation) हो। बिना इसके वे मानव एसीई 2 रिसेप्टर का इस्तेमाल नहीं कर सकते। यानी नियोकोव को लेकर जो बातें सामने आ रही हैं, वे महज प्रचार मात्र हैं। चूंकि नियोकोव सिर्फ चमगादड़ों में मिला है और इसने अभी तक किसी इंसान को संक्रमित नहीं किया है, इसलिए इससे डरने की जरूरत नहीं है। हां सतर्कता अवश्य रखें।

मर्स अधिक घातक था
इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने न्यूज18 से कहा कि MERS कहीं अधिक घातक था। यह मनुष्यों के पास गया, लेकिन महामारी का कारण नहीं बना। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2012 में दुनिया के 27 देशों में MERS के मामले सामने आए थे, जिससे करीब 858 मौतें हुईं। हालांकि रिसर्च से सामने आया है कि नियोकोव के चमगादड़ों से इंसान में फैलने का कोई खतरा नहीं है। दक्षिण अफ्रीका में मिले नए वैरिएंट नियोकोव(Neokov) को सबसे खतरनाक माना जा रहा है। नियोकोव की संक्रमण और मृत्यु दर दोनों बाकी वैरिएंट से कहीं अधिक हैं। इसके मरीज 2012 और 2015 में पश्चिम एशियाई देशों में मिले थे।

चीनी वैज्ञानिकों का दावा-निकोकोव से हर 3 मरीज में से 1 की मौत
चीन के वुहान के वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह वैरिएंट दक्षिण अफ्रीका में मिला है। इसमें हर तीन मरीजों में से एक की जान जा सकती है। हालांकि चीन के वैज्ञानिकों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता है। क्योंकि 2020 में कोरोना महामारी वुहान से ही फैली थी।

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