सार

IPL 2022: बीसीसीआई (BCCI) ने पहली बार सीजन के लिए सभी 9 प्रायोजन स्लॉट पहले ही भर दिए हैं। कोरोना महामारी के दौरान में भी बीसीसीआई की कमाई में इसका कोई असर नहीं पड़ा है। लीग दुगुनी ताकत के साथ फिर खड़ी हुई है और धूम मचाने के लिए तैयार है। 

स्पोर्ट्स डेस्क: इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) की धमाकेदार शुरुआत शनिवार से होने जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक बीसीसीआई (BCCI) आईपीएल 2022 (IPL 2022) के स्पॉन्सरशिप से 1,000 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह आईपीएल के इतिहास में अब तक अर्जित किया रिकॉर्ड राजस्व होगा। बीसीसीआई ने इस साल टाटा के रूप में एक नए टाइटल प्रायोजक और दो नए सहयोगी प्रायोजकों के साथ करार किया है। 

आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल ने हाल ही में दो नए प्रायोजकों (रुपे और स्विगी) के साथ नए करार किए हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक बीसीसीआई ने पहली बार सीजन के लिए सभी 9 प्रायोजन स्लॉट पहले ही भर दिए हैं। कोरोना महामारी के दौरान में भी बीसीसीआई की कमाई में इसका कोई असर नहीं पड़ा है। लीग दुगुनी ताकत के साथ फिर खड़ी हुई है और धूम मचाने के लिए तैयार है। 

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बीसीसीआई को बड़ा फायदा टाइटल स्पॉन्सरशिप डील से मिल रहा है। टाटा समूह (TATA Group) 335 करोड़ रुपए का भुगतान कर रहा है। हालांकि यह वीवो के भुगतान से कम है, लेकिन फिर भी बीसीसीआई लगभग 30-40 प्रतिशत अधिक कमाई करेगा। वहीं रुपे और स्विगी के साथ बोर्ड ने सालाना 48-50 करोड़ रुपए की डील की है। 

बुरा फंसा वीवो, बाहर निकलने के लिए भी चुकाने पड़े पैसे 

चीन के साथ तनातनी को लेकर चीनी मोबाइल कंपनी वीवो को न चाहते हुए भी आईपीएल से बाहर होना पड़ा है। हालांकि बीसीसीआई ने डील को इस तरह ट्रांसफर कि सभी घाटे वीवो को ही वहन करने पड़ेंगे। बोर्ड को न केवल वीवो से करार की राशि मिलेगी, बल्कि आईपीएल 2022 और आईपीएल 2023 के मैचों की संख्या में वृद्धि के अनुपात में बड़ा मुनाफा भी मिलेगा। 

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टाटा ने भुनाया मौका 

चाइनीज ब्रॉन्ड विवो ने अगले दो सीजन के लिए मैचों की संख्या में वृद्धि के कारण आईपीएल 2022 के लिए 484 करोड़ रुपए और आईपीएल 2023 के लिए 512 करोड़ रुपए का भुगतान करने पर हामी भरी थी। वीवो को अगले दो सीजन के लिए बोर्ड को 996 करोड़ रुपए का भुगतान करना था। इस बीच टाटा समूह ने मौके का फायदा उठाते हुए सिर्फ 670 करोड़ रुपए में डील हासिल कर ली। 

पहले से तय करार के अनुसार वीवो को बीसीसीआई को ट्रांसफर फीस देनी होगी। यह लगभग वैसा ही होगा जब पिछली बार ओप्पो ने बायजूस को अपने अधिकार ट्रांसफर किए थे। बोर्ड ने पहली बार लीग के सभी आधिकारिक पार्टनर स्लॉट भर दिए हैं। कहने का मतलब बीसीसीआई के दोनों हाथों में लड्डू हैं। 

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