सार

भारत के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए बॉल बनाने वाली कंपनी एसजी ने ही कोलकाता टेस्ट के लिए गुलाबी गेंद बनाई है। खिलाड़ी और दर्शक दोनों ही गुलाबी गेंद का खेल देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं। 

बेंगलुरु. बांग्लादेश के खिलाफ में शुक्रवार से कोलकाता में दूसरा टेस्ट मैच खेला जाएगा। सभी की नजरें भारत के पहले डे नाइट टेस्ट पर बनी हुई हैं। खिलाड़ी मैच को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन यहां एक व्यक्ति ऐसा भी है जो उत्साहित होने के साथ-साथ बेचैन भी है, वह भी गुलाबी गेंद की वजह से जो इस ऐतिहासिक मैच में पहली बार इस्तेमाल होगी। 

भारत के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए बॉल बनाने वाली कंपनी Sanspareils Greenlands (एसजी) ने ही कोलकाता टेस्ट के लिए गुलाबी गेंद बनाई है। खिलाड़ी और दर्शक दोनों ही गुलाबी गेंद का खेल देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं। 

एसजी के मार्केटिंग डायरेक्टर पारस आनंद ने एशियानेट हिंदी के सहयोगी MYNATION से गुरुवार को बात की। इस दौरान उन्होंने गुलाबी गेंद बनने से लेकर समेत तमाम बातें शेयर कीं। पारस आनंद भी मैच पर नजर बनाए हुए हैं, उनके मुताबिक, ये मैच 3 दिन में खत्म हो जाएगा। 

1- सवाल- ऐतिहासिक मैच में एक दिन बाकी है, आप कैसा महसूस कर रहे हैं? उत्साहित हैं या बेचैन। 
पारस आनंद- मैं कुछ हद तक उत्साहित भी हूं और बेचैन भी। 

2- सवाल- लाल गेंद और गुलाबी गेंद में क्या अंतर है? 
पारस आनंद- दोनों में अहम अंतर है कि कैसे गेंद को रंगा जाता है। लाल बॉल में यह कपड़े को रंगने जैसा है। यह प्रक्रिया एक दिन में हो जाती है। लेकिन गुलाबी गेंद में रंग इतना चटक नहीं होता। क्यों कि गुलाबी रंग हल्का होता है। इसे रंगने के बाद गेंद कलर सोख्ती है। इसलिए इसमें पर्तों में रंग चढ़ाया जाता है। पहले बेस तैयार किया जाता है, फिर इसे ठीक किया जाता है। इसके बाद रंग की लेयर चढ़ाते हैं, फिर उसे ठीक किया जाता है। इसके बाद इसमें पॉलिश की जाती है। इसके बाद दो लेयरों के बाद गुलाबी रंग सुरक्षित रह पाता है। 

3- सवाल- गेंद की सीम- लाल गेंद पर सफेद और गुलाबी पर काली
आनंद- सीम, लाल गेंद पर सफेद और गुलाबी पर काली, यह भी एक बड़ा अंतर है। गुलाबी गेंद पर सीम लाल गेंद की तरह ही अहम है। इसमें कोई अंतर नहीं है। लेकिन जब सफेद गेंद से आप तुलना करेंगे तो यह ज्यादा अहम नहीं रहती। क्यों कि सफेद गेंद से टी-20 में सिर्फ 20 जबकि, वनडे में एक बॉल से 25-25 ओवर ही फेंके जाते हैं। इसलिए यह लाल और गुलाबी की तुलना में ज्यादा अहम नहीं होती। 

4- सवाल- क्या गुलाबी गेंद में रंग जाना चिंता का विषय है? 

आनंद- गुलाबी गेंद को सफल बनाने का पूरा आईडिया इसके रंग, आकार, सीम और कठोरता पर टिका है। इन्हीं पर हमने काम किया है। हमें विकेट पर मदद चाहिए, विकेट पर घास होना चाहिए, जो कोलकाता में पिच क्यूरेटर ने दिया है। इसके अलावा गेंद को हरा आउटफील्ड भी चाहिए, जो ईडन गार्डन पर है। 

5- सवाल- क्या गुलाबी गेंद से लाल की तुलना में ज्यादा स्विंग मिलेगी?   
आनंद- हां जरूर, यह पॉलिश की वजह से। अगर आपने टीवी कॉमेंटेटर को सुना होगा कि लाल गेंद पुरानी हो गई है, इसलिए तेज गेंदबाजों के लिए इसमें ज्यादा कुछ नहीं है, जब कि रिवर्स स्विंग ना मिलने लगे। लेकिन गुलाबी गेंद में एक्स्ट्रा पॉलिश और ज्यादा कोट के चलते गेंद का रंग बरकरार रहेगा। इससे बॉल लाल गेंद की अपेक्षा 5-10 ओवर ज्यादा वक्त तक नई रहेगी। इसलिए ज्यादा स्विंग मिलेगा। 

6- सवाल- बीसीसीआई से कब मिला गुलाबी गेंद का ऑर्डर?
आनंद- बीसीसीआई ने हमें करीब एक महीने का वक्त दिया। शुरुआत में 72 बॉल की जरूरत थी, क्योंकि प्रैक्टिस सेशन के लिए चाहिए थी। हमने इंदौर टेस्ट से पहले 24 गेंद और कोलकाता टेस्ट से पहले 24 बॉल दीं। अभी तक कुल 120 बॉल हम बीसीसीआई को सप्लाई कर चुके हैं। 

7- सवाल- विराट कोहली समेत बड़े खिलाड़ियों की क्या है राय? 
आनंद- मैंने मीडिया के माध्यम से बड़े खिलाड़ियों की राय सुनी है। विराट कोहली ने कहा है कि प्रैक्टिस के दौरान गेंद की सीम अच्छी रही। यह एकमत राय थी। अगर विराट कोहली ने कुछ कहा है तो उन्होंने टीम के साथियों से बात की होगी। 

8- सवाल- क्या गुलाबी गेंद से और भी मैच देखने को मिलेंगे?
आनंद- कोलकाता मैच के बाद इसका उत्तर मिल जाएगा। 

9- सवाल- कितने दिन चलेगा मैच?
आनंद- अगर कोलकाता मैच चौथे दिन तक जाता है तो मुझे आश्चर्य होगा। यह भारत की अच्छी गेंदबाजी के चलते मेरा ये मानना है। बांग्लादेश के बल्लेबाजों को भारतीय तेज गेंदबाजों का सामना करने में कठिनाई होगी। 

10- सवाल- कितने दिन में तैयार होती है गुलाबी गेंद?
आनंद- गुलाबी गेंद बनने में 8 दिन लगते हैं। लाल गेंद में 3 दिन का वक्त लगता है। सफेद बॉल भी 8 दिनों में बनती है।