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आखिरी वक्त में पैसों-पैसों के लिए मोहताज हो गईं थीं दादी सा उर्फ सुरेखा सीकरी, मांग रही थीं जगह-जगह काम
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सुरेखा ने 15 सालों तक किया दिल्ली में काम
सुरेखा का जन्म 19 अप्रैल, 1945 को दिल्ली में हुआ था। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने दिल्ली के ड्रामा सर्किट में 15 सालों तक काम किया और फिर मुंबई चली गईं।
'बालिका वधू' से मिली असली पहचान
मुंबई आने के बाद सुरेखा ने 1978 में आई फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' से फिल्मों में डेब्यू किया। इसके बाद सुरेखा ने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें असल पहचान टीवी के पॉपुलर शो 'बालिका वधू' से मिली थी। इस शो में उनके कल्याणी देवी उर्फ दादी सा का किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया।
तंगी में गुजरा सुरेखा का आखिरी समय
लेकिन सुरेखा सीकरी का आखिरी समय बेहद दर्दनाक रहा। दरअसल कोरोना के चलते उन्हें कहीं काम नहीं मिला और इस वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था। सुरेखा ने इस बारे में बात करते हुए कहा था कि उन्हें पैसों की नहीं बल्कि काम की चाहत है। वह किसी के सामने भीख नहीं मांग रही।
सुरेखा की एक इच्छा रह गई अधूरी
हालांकि सुरेखा की आखिरी इच्छा हमेशा के लिए अधूरी रह गई। उनकी ख्वाहिश थी कि वो अमिताभ बच्चन के साथ काम करें। उन्होंने अपनी इस इच्छा का खुलासा फिल्म 'बधाई हो' के प्रमोशन के दौरान किया था।
सुरेखा ने 3 अवॉर्ड किए अपने नाम
सुरेखा सीकरी ने तीन नेशनल अवॉर्ड अपने नाम किए थे। ये अवॉर्ड्स उन्हें 1988 में फिल्म 'तमस', 1995 में 'मम्मो' और 2018 में आई 'बधाई हो' के लिए मिले थे। इसके अलावा 1989 में हिंदी थिएटर में अपने जबरदस्त योगदान के चलते इन्हें संगीत नाटक अकादमी ने भी सम्मानित किया था।
2021 में हुआ था सुरेका का निधन
आपको बता दें सुरेखा को 2018 में महाबलेश्वर में एक TV शो की शूटिंग के दौरान ब्रेन स्ट्रोक आया था। वे गिर गई थीं, जिससे उसके सिर में चोट लगी थी। हालांकि वो इससे उभर गईं थीं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान उन्हें फिर से स्ट्रोक आया था, जिसके बाद उन्हें ICU में रखा गया था। उसके बाद सुरेखा का 2021 में हार्ट अटैक आने की वजह से निधन हो गया था।