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शक्ति कपूर की 26 फ़िल्में एक ही साल में हुई थीं रिलीज, इन 9 स्टार्स ने भी बनाया ऐसा ही रिकॉर्ड
73 साल के हो चुके शक्ति कपूर ने अपने करियर में 700 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। 3 सितम्बर 1952 को पैदा हुए शक्ति उन बॉलीवुड स्टार्स में भी शामिल हैं, जिनकी एक ही साल में सबसे ज्यादा फ़िल्में रिलीज हुईं। जानिए ऐसे ही टॉप 10 स्टार्स के बारे में...

शक्ति कपूर
किस साल में आईं सबसे ज्यादा फ़िल्में : 1989
कितनी फ़िल्में : 26
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'चालबाज', 'आग से खेलना', 'जेंटलमैन', 'आखिरी गुलाम', 'जंगबाज', 'अभिमन्यु', 'जैसी करनी वैसी भरनी', 'गरीबों का देवता', 'रखवाला', 'तौहीन', 'सूर्या', 'कसम सुहाग की', 'मिल गई मंजिल मुझे', 'जोशीले', 'घराना', 'दांव पेंच', 'गुरु', 'हम इंतजार करेंगे', 'मुजरिम', 'ताकतवर', 'महादेव', 'नफरत की आंधी', 'कहां है क़ानून', 'मजबूर', 'सच्चाई की ताकत' और 'निशानेबाजी'।
नोट : शक्ति कपूर के लिए 1980 से लेकर 1990 तक का दशक ऐसा था, जब उनकी हर साल कभी 10, कभी 15, कभी 20 तो कभी 26 फ़िल्में पर्दे पर रिलीज हुई थीं। 2001 में भी वे 20 फिल्मों में दिखाई दिए थे।
कादर खान
सबसे ज्यादा फ़िल्में किस साल में आईं : 1988
कितनी फ़िल्में : 26
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'औरत तेरी यही कहानी', 'भेदभाव', 'इंतकाम', 'मर मिटेंगे', 'मुलजिम', 'प्यार मोहब्बत', 'साजिश', 'सोने पे सुहागा', 'पैगाम', 'गंगा तेरे देश में', 'बीवी हो तो ऐसी', 'खून भरी मांग', 'वक़्त की आवाज़', 'घर घर की कहानी', 'शूरवीर', 'शेरनी', 'वो मिली थी', 'चरणों की सौगंध', 'कब तक चुप रहूंगी', 'कसम', 'प्यार का मंदिर', 'शहंशाह', 'दरिया दिल', 'बिजली और तूफ़ान', 'गीता की सौगंध', और 'सोम मंगल शनि'।
नोट : दिवंगत कादर खान को 1980 से लेकर 1999 तक सिर्फ 1996 को छोड़ कर हर साल कभी 11, कभी 18, कभी 20,कभी 23 तो कभी 26 फिल्मों में देखा गया था।
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प्रेम चोपड़ा
सबसे ज्यादा फ़िल्में किस साल में आईं : 1989
कितनी फ़िल्में : 19
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'मजबूर', 'घराना', 'मिट्टी और सोना', 'खून का कर्ज', 'क़ानून की आवाज़', 'आखिरी बदला', 'दांव पेंच', 'इंदिरा', 'जोशीले', 'सच्चे का बोलबाला', 'संतोष', 'क्लर्क', 'रखवाला', 'गरीबों का दाता', 'अभिमन्यु', 'जंग बाज़', 'दाना पानी', 'दाता' और 'सिक्का'।
नोट : प्रेम चोपड़ा को 1994 में 11, 1977 और 1995 में 12-12 और 1985 में 13 फिल्मों में भी देखा गया था।
अमरीश पुरी
सबसे ज्यादा फ़िल्में किस साल में आईं : 1989
कितनी फ़िल्में : 18
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'मेरा फर्ज', 'मुजरिम', 'नफरत की आंधी', 'राम लखन', 'तुझे नहीं छोडूंगा', 'आग से खेलेंगे', 'जादूगर', 'हिसाब खून का', 'बटवारा', 'त्रिदेव', 'ना-इंसाफी', 'दाता', 'इलाका', 'फर्ज की जंग', 'दो कैदी', 'सूर्या :एन अवेकनिंग', 'मिल गई मंजिल मुझे' और 'जुर्रत'।
नोट : अमरीश पुरी 1984 से 1992 के बीच केवल 1985 को छोड़कर हर साल 11 से लेकर 18 फिल्मों तक में नज़र आए थे।
मिथुन चक्रवर्ती
सबसे ज्यादा फ़िल्में किस साल में आईं : 1989
कितनी फ़िल्में : 17
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'भ्रष्टाचार;, 'लड़ाई', 'दाना पानी', 'हिसाब खून का', 'आखिरी गुलाम', 'मुजरिम', 'दाता', 'गरीबों का देवता', 'दोस्त', 'इलाका', 'प्रेम प्रतिज्ञा', 'हम इंतजार करेंगे', 'आखिरी बदला', 'गलियों का बादशाह', 'गुरु', 'मिल गई मंजिल मुझे' और 'मेरी जुबान' थीं।
नोट : मिथुन चक्रवर्ती को 1980 के दशक में हर साल 10 से लेकर 17 फिल्मों तक में देखा गया था, सिवाय 1983 को छोड़कर।
गोविंदा
सबसे ज्यादा फ़िल्में किस साल में आईं : 1989
कितनी फ़िल्में : 14
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'आखिरी बाजी', 'पाप का अंत', 'जेंटलमैन', 'घराना', 'जंग बाज़', 'ताकतवर', 'जैसी करनी वैसी भरनी', 'बिल्लू बादशाह', 'गैर कानूनी', 'फ़र्ज़ की जंग', 'आसमान से ऊंचा', 'दो कैदी', 'दोस्त गरीबों का' और 'सच्चाई की ताकत'।'
शत्रुघ्न सिन्हा
सबसे ज्यादा फ़िल्में किस साल में आईं : 1973
कितनी फ़िल्में : 13
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'आ गले लग जा', 'झील के उस पार', 'ब्लैकमेल', 'छलिया', 'एक नारी दो रूप', 'गाय और गौरी', 'गुलाम बेगम बादशाह', 'हीरा', 'कशमकश', 'प्यार का रिश्ता', 'सबक', समझौता' और 'शरीफ बदमाश'।
नोट : शॉट गन 1972, 1984, 1985, 1988, में 11 और 1987 और 1989 में 10 फिल्मों में दिखाई दिए थे।
जीतेन्द्र
सबसे ज्यादा फ़िल्में किस साल में आईं : 1982
कितनी फ़िल्में : 13
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'रास्ते प्यार के', 'सम्राट', 'धरम कांटा', 'अनोखा बंधन', 'जियो और जीने दो', 'दीदार-ए-यार', 'फर्ज और क़ानून', 'मेहंदी रंग लाएगी', 'बदले की आग', 'इंसान', 'चोरनी', रक्षा' और 'अपना बना लो'।
नोट : जीतेंद्र को 1977 में 10, 1981 में 12 और 1986 व 1990 में 12-12 फिल्मों में देखा गया था।
राजेश खन्ना
सबसे ज्यादा फ़िल्में किस साल में आईं : 1985
कितनी फ़िल्में : 12
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'आवारा बाप', 'इंसाफ मैं करूंगा', 'ऊंचे लोग', 'बाबू', 'अलग-अलग', 'आखिर क्यों', 'बेवफाई', 'दुर्गा', 'मास्टरजी', 'बाएं हाथ का खेल', 'हम दोनों और 'ज़माना'।
नोट : 1977 में काका की 11 फ़िल्में बड़े पर्दे पर देखने को मिली थीं।
धर्मेन्द्र
सबसे ज्यादा फ़िल्में किस साल में आईं : 1987
कितनी फ़िल्में : 12
कौन-सी थीं वो फ़िल्में : 'जान हथेली पे', 'हुकूमत', 'लोहा', 'इंसानियत के दुश्मन', 'सुपरमैन', 'आग ही आग', 'दादागिरी', 'इंसाफ की पुकार', 'मर्द की जुबान', 'मेरा करम मेरा धरम', 'वतन के रखवाले', 'मिट जाएंगे मिटने वाले'।
नोट : धर्मेन्द्र वो स्टार हैं, जो 1975, 1984 और 1989 में 10-10 फिल्मों में बड़े पर्दे पर नज़र आए थे।