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वो 6 खूबसूरत एक्ट्रेस, जिनकी मौत कंगाली में हुई, किसी की लाश सड़ी तो किसी को कंधे तक ना मिले
Actresses Who Dies In Poverty: गुजरे जमाने की पॉपुलर और खूबसूरत एक्ट्रेस विमी को गुजरे 48 साल हो गए हैं। 22 अगस्त 1977 को 34 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। उनकी मौत कंगाली में हुई थी और अंतिम वक्त में उन्हें 4 कंधे भी नसीब नहीं हुए थे।

ठेले पर श्मशान घाट ले जानी पड़ी थी विमी की लाश
विमी 1960 और 1970 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस थीं। उन्होंने 'हमराज', 'नानक नाम जहाज है' और 'गुड्डी' जैसी फिल्मों से पहचान बनाई थी। उनका पूरा नाम विमलेश कौर वाधवान था। उन्होंने करियर के पीक पर उद्योगपति के बेटे शिव अग्रवाल से शादी की, जिसे बाद में उन्होंने जिंदगी की सबसे बड़ी गलती माना। पति की शारीरिक प्रताड़ना से परेशान होकर वे फिल्मों में लौटीं, लेकिन वापसी असफल रही। कहा जाता है कि आर्थिक तंगी हुई तो वे वेश्यावृत्ति में चली गईं। 1977 में नानावटी हॉस्पिटल के जनरल वॉर्ड में उनकी मौत हुई तो कोई बॉडी लेने भी ना आया। श्मशान घाट तक उनकी लाश हाथ ठेले पर ले जानी पड़ी थी और लावारिस की तरह उन्हें जला दिया गया था। नीचे जानिए ऐसी ही 5 और एक्ट्रेस के अंतिम वक्त की कहानी...
मीना कुमारी के पास नहीं थे बिल भरने के पैसे?
मीना कुमारी बॉलीवुड का वो नाम हैं, जिन्हें आज भी उनकी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। बदकिसमती से 1 मार्च 1972 को वे दुनिया को अलविदा कह गईं। उस वक्त वे 38 साल की थीं। 1950, 960 और 1970 के दशक की एक्ट्रेस मीना कुमारी ने 'बैजू बावरा', 'साहब बीवी और गुलाम' और 'पाकीजा' जैसी फ़िल्में की थीं। उनकी मौत लीवर सिरोसिस से हुई थी। डायरेक्टर बिमल रॉय की बेटी रिंकी रॉय भट्टाचार्य ने एक बातचीत में खुलासा किया था कि अंतिम वक्त में मीना कुमारी आर्थिक तंगी में थीं। उनके परिवार के पास अस्पताल का बिल भरने तक के पैसे नहीं थे।
दो दिन तक सड़ती रही थी परवीन बाबी की लाश
22 जनवरी 2005 को 50 साल की उम्र में परवीन बाबी का इंतकाल हो गया था। उनकी लाश दो दिन तक उनके अपार्टमेंट में पड़ी रही थी। बताया जाता है कि अंतिम वक्त में वे कंगाली से जूझ रही थी। परवीन ने 1970 और 1980 के दशक में 'त्रिमूर्ति', 'दीवार' और 'अमर अकबर एंथनी' जैसी फिल्मों में काम किया था।
गरीबी में हुआ था काजोल की 'नानी' नलिनी जयवंत का निधन
नलिनी जयवंत 1940 से लेकर 1980 के दशक तक फिल्मों में एक्टिव रहीं। उन्होंने 'समाधि', 'आवाज़' और 'नास्तिक' जैसी फिल्मों में काम किया था। 20 दिसंबर 2010 को 60 साल की उम्र में जब उनका निधन हुआ तो वे गरीबी से जूझ रही थीं। उनकी लाश तीन दिन तक घर में सड़ती रही थी। बाद में एक एंबुलेंस उनकी बॉडी को लेकर गई थी। नलिनी काजोल की नानी शोभना समर्थ की चचेरी बहन थीं और कहा जाता है कि अंतिम वक्त में वे रिश्तेदारों के साथ उनका संपर्क टूट गया था।
अचला सचदेव के पास नहीं थे इलाज तक के पैसे
1930 के दशक से लेकर 2010 के दशक तक फिल्मों में एक्टिव रहीं अचला सचदेव ने 'वक्त' और 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' जैसी तकरीबन 120 फिल्मों में काम किया था। 30 अप्रैल 2012 को 91 साल की उम्र में उनका निधन हुआ। कहा जाता है कि अंतिम वक्त में वे इतनी आर्थिक तंगी में थीं कि उनके पास इलाज तक के पैसे नहीं थे।
कंगाली और अकेलेपन में हुई थी रूबी मेयर्स की मौत
रूबी मेयर्स 1920 से लेकर 1970 के दशक तक फिल्मों में एक्टिव रहीं। उन्होंने 'बलिदान', 'सौभाग्य लक्ष्मी', 'द जंगल' और 'नील कमल' जैसी फिल्मों में नज़र आईं। रूबी मेयर्स का असली नाम सुलोचना था। कहा जाता है कि अपने करियर के दौरान उनकी कमाई बॉम्बे के गवर्नर से भी ज्यादा हुआ करती थी। लेकिन 10 अक्टूबर 1983 को जब उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा तो उनके पास कुछ नहीं था। कंगाली से जूझते हुए अपने फ़्लैट में अकेलेपन में ही उनकी मौत हो गई थी।