सार

दिल्ली के चांदनी चौक में सड़क निर्माण के लिए एक मंदिर को तोड़ा गया है। इसके बाद से सोशल मीडिया पर लोग गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। इस खबर से जोड़कर अब सैकड़ों अफवाह और फेक न्यूज भी साझा की जा रही हैं। 

फैक्ट चेक डेस्क. दिल्ली के चांदनी चौक में सड़क निर्माण के लिए एक मंदिर को तोड़ा गया है। इसके बाद से सोशल मीडिया पर लोग गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। इस खबर से जोड़कर अब सैकड़ों अफवाह और फेक न्यूज भी साझा की जा रही हैं। अब सोशल मीडिया पर एक रेलवे स्‍टेशन पर मौजूद एक धार्मिक स्‍थल की तस्‍वीर वायरल हो रही है। इस मस्जिद को पुरानी दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन का बताकर वायरल किया जा रहा है। फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है? 

वायरल पोस्ट क्या है? 

ट्विटर यूज़र मानवी त्रिपाठी ने ये तस्वीर ऐसे ही दावे के साथ ट्वीट की। आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 4,100 बार रीट्वीट किया गया है।

 

 

फेसबुक यूजर नागेंद्र पटेल ने एक पुरानी तस्‍वीर को अपलोड करते हुए लिखा : ‘ये मस्जिद पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर है, किसी मे हिम्मत है इसको कब तुड़वा रहे हो या सिर्फ हनुमान मंदिर ही रास्ते का रोड़ा था तुम्हारे’ यह पोस्‍ट 7 जनवरी को की गई जिसे सच मानकर कई लोग इसे शेयर कर रहे हैं।

 

 

फैक्ट चेक

सबसे पहले वायरल हो रही तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। सर्च के दौरान हमें यह तस्‍वीर प्रयागराज रेलवे स्‍टेशन के नाम से मिली। 23 मई 2013 को पब्लिश एक ब्‍लॉग पोस्‍ट में बताया गया कि यह धार्मिक स्‍थल प्रयागराज (पहले इलाहबाद) रेलवे स्‍टेशन के प्‍लेटफार्म नंबर एक पर है।

यूट्यूब पर 2 जुलाई 2018 को अपलोड एक वीडियो में मस्जिद को इलाहाबाद जंक्‍शन पर बताया गया है। वीडियो में हमें मौजूद धार्मिक स्‍थल का गुंबद ठीक उसी शैली का दिखा, जो दिल्‍ली के नाम पर वायरल तस्‍वीर में दिख रहा है। इसके अलावा वीडियो में हमें इलाहाबाद जं. भी लिखा हुआ नजर आया। मतलब साफ था कि वीडियो प्रयागराज का है।

 

 

पड़ताल के अगले चरण में हमने गूगल मैप की मदद ली। हमें पता चला कि प्रयागराज जंक्‍शन पर मौजूद धार्मिक स्‍थल लाइन शाहबाबा मजार नाम से ख्‍यात है।

शाहबाबा मजार के सचिव वसीम उद्दीन ने मीडिया को बताया, “यह इलाहाबाद जंक्‍शन पर स्थित मजार है। , बाबा का नाम किसी को नही पता था इसलिए इसे लाइनशाह बाबा कहा जाने लगा, तबसे यहां पर सभी धर्म के लोग आते हैं और मन्‍नत मांगते हैं।”

ये निकला नतीजा 

जांच-पड़ताल में ये साफ हो गया कि रेलवे स्टेशन पर मौजूद मस्जिद की तस्वीर पुरानी दिल्‍ली नहीं प्रयागराज स्‍टेशन की है। इसका दिल्‍ली से कोई संबंध नहीं है।