भारत ने मंगलवार को चीनी प्रोफेसर के दावों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि लद्दाख में चोटियों पर डटे भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चीन माइक्रोवेब हथियारों का उपयोग कर रहा था। भारतीय सेना ने कहा कि "कुछ अंतरराष्ट्रीय समाचार पोर्टलों ने भ्रामक खबरें प्रकाशित की हैं और लद्दाख में भारत-चीन सीमा स्टैंड से संबंधित आधारहीन दावों की सूचना दी है। यह फर्जी खबर है। ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।"

फैक्ट चेक डेस्क : भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच विदेशी मीडिया लगातार भारत में चीनी हमलों की झूठी खबरें प्रकाशित कर रहा है। ऐसी कई फर्जी खबरों को समय रहते भारत सरकार और इंडियन आर्मी ने खारिज किया है। अब यूके के अखबार 'दी टाइम्स' ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय जवानों पर चीन के घातक हमले की फर्जी खबर छापी है। यूके मीडिया ने एक खबर में पीएलए की खौफनाक हरकत का खुलासा करते हुए बताया है कि भारत की ओर रणनीतिक तौर पर अहम दो चोटियों पर तैनात भारतीय जवानों पर उसने माइक्रोवव वेपन से हमला किया था।

सोशल मीडिया पर जब ये खबर वायरल हुई तो भारतीय सेना ने इसकी धज्जियां उड़ा दी। आइए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है? 

लद्दाख में चीनी हमने की एक खबर इन दिनों सुर्खियों में है जिसमें कहा जा रहा है, कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने पूर्वी लद्दाख में दो चोटियों पर डटे भारतीय जवानों को वहां से पीछे धकलने के लिए 'माइक्रोवेब वेपन' का इस्तेमाल किया था।

वायरल पोस्ट क्या है?

ब्रिटिश अखबार द टाइम्‍स की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर जिन ने एक लेक्‍चर के दौरान माइक्रोवेब वेपन के इस्‍तेमाल का दावा किया। उन्‍होंने दावा किया कि चाइना ने भारतीय सैनिकों पर इस हथियार का इस्तेमाल किया और लद्दाख की दो चोटियों पर कब्‍जा कर लिया। यहां तक की उन्‍होंने दावा किया कि इस हमले में भारत को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। जिन ने कहा कि चीनी सैनिकों ने पहाड़ी के नीचे से माइक्रोवेब वेपन का इस्‍तेमाल चोटी के ऊपर बैठे भारतीय सैनिकों पर किया।

बिल्कुल ऐसा ही दावा The Australian वेबसाइट ने भी किया। 

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क्या है माइक्रोवेब वेपन 

कहा जा रहा है कि चीन का यह हथियार न केवल इंसानों को तड़पने के लिए मजबूर कर सकता है, बल्कि इलेक्‍ट्रानिक और मिसाइल सिस्‍टम को भी तबाह कर सकता है। माइक्रोवेब गन के इस्‍तेमाल के 15 म‍िनट बाद ही भारतीय सैनिक उल्‍टी करने लगे और उन्‍हें चोटी को छोड़कर पीछे हटना पड़ गया। द टाइम्‍स ने कहा कि दुनिया में इस तरह के हथियार का अपने शत्रु सेना पर इस्‍तेमाल का यह पहला उदाहरण है। 

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फैक्ट चेक

अब बात आती है कि विदेशी मीडिया चीनी हमले के जो दावे कर रहा है उसमें कितनी सच्चाई है? जब हमने इसकी सच्चाई जानने की कोशिश की तो पता चला कि विदेशी मीडिया के दावे एकदम हवा-हवाई हैं। भारत ने मंगलवार को चीनी प्रोफेसर के दावों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि लद्दाख में चोटियों पर डटे भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चीन माइक्रोवेब हथियारों का उपयोग कर रहा था। भारतीय सेना ने कहा कि "कुछ अंतरराष्ट्रीय समाचार पोर्टलों ने भ्रामक खबरें प्रकाशित की हैं और लद्दाख में भारत-चीन सीमा स्टैंड से संबंधित आधारहीन दावों की सूचना दी है। यह फर्जी खबर है। ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।"

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प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो ने भी चीनी हमलों का दावा करने वाली इस विदेशी खबरों का खंडन किया। इंडियन आर्मी अधिकारियों के हवाले से इन दावे को फर्जी बताया गया।

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ये निकला नतीजा

हमारी पड़ताल में लद्दाख में चीनी सेना के माइक्रोवेब वेपन हमले के विदेशी मीडिया के दावे फर्जी साबित होते हैं। न्यूज साइट पर वायरल हो रही खबरों की जांच के बाद हमने पाया कि ये खबर पूरी तरह फर्जी है। चाइना की तरफ से किसी भी प्रकार को कोई माइक्रोवेब हमला नहीं किया गया। भारतीय सेना ने भी इस खबर को सिरे से खारिज कर दिया है।