सार

सोशल मीडिया पर इन दिनों कुछ तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। इनमें दावा किया जा रहा है कि चीन ने आसमान में कृत्रिम सूरज लॉन्च कर दिया है और इन दिनों यही आसमान में चमक रहा है। यह वीडियो अब तक लाखों बार देखा जा चुका है। 
 

नई दिल्ली। हाल ही में ऐसी खबर सामने आई थी कि चीन कृत्रिम सूरज बनाने और उसे आसमान में प्रक्षेपित करने की दिशा में काम कर रहा है। इसके मुताबिक, चीन के वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट को एचएल-2एम टोकामक नाम दिया है। इसमें परमाणु संल्यन प्रक्रिया का इस्तेमाल कर लगभग 125 मिलियन डिग्री फॉरेनहाइट प्लाज्मा उत्पन्न किया जा रहा है, जिससे इस कृत्रिम सूरज में चमक पैदा हो रही है। 

वहीं, अब सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि चीन ने इस कृत्रिम सूरज को लॉन्च कर दिया है। सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कुछ फोटो और वीडियो तेजी से वायरल भी हो रहे हैं। इन तस्वीरों और वीडियो में समुद्र का तट दिखाई दे रहा है, जहां काफी संख्या में लोग खड़े हैं। इसमें देखा जा सकता है एक रॉकेट लॉन्च हो रहा है। वहीं, एक अन्य तस्वीर में दूर कहीं सूरज चमकता दिखाई दे रहा है। सोशल मीडिया पर ये तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करने वाले कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि चीन ने रॉकेट की मदद से इस कृत्रिम सूरज को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है और यही अब आसमान में चमक रहा है। तस्वीरों में इस लॉन्चिंग को लाइव देखने के लिए जुटी लोगों की भीड़ भी दिखाई दे रही है। भीड़ में तमाम लोग अपने मोबाइल से इसकी फोटो ले रहे हैं या वीडियो बना रहे हैं।  

 

 

10 जनवरी को पोस्ट हुआ वीडियो

एशियानेट फैक्ट चेकर टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि सोशल मीडिया पर इससे संबंधित पहला वीडियो बीते दस जनवरी को पोस्ट हुआ है। पड़ताल में यह भी सामने आया कि इस वीडियो में ऐसा कहीं नहीं दिख रहा कि चीन रॉकेट की मदद से कृत्रिम सूरज को लॉन्च कर रहा है। हां, इसमें सिर्फ एक रॉकेट लॉन्च होता जरूर दिख रहा है। बावजूद इसके कुछ लोगों ने इसे कृत्रिम सूरज की लॉन्चिंग से जोड़ दिया है, जिसके बाद यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया और अब तक इसे लाखों बार देखा जा चुका है। 

स्पेस में लॉन्च नहीं किया गया डिवाइस

हमारी पड़ताल में यह भी सामने आया कि तस्वीरों और वीडियो में दिख रहा क्षेत्र चीन के सिचुआन प्रांत में स्थित साउथवेस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स का टेस्टिंग साइट है और रॉकेट की मदद से इस डिवाइस को अभी तक स्पेस में लॉन्च नहीं किया गया है। वहीं, वैज्ञानिकों का दावा है कि इस कृत्रिम सूरज वाले डिवाइस को प्लाज्मा के एक लूप में असली सूरज से पांच गुना ज्यादा तापमान पर गर्म किया गया और 17 मिनट तक उसी तापमान पर स्थिर भी रखा गया। वैज्ञानिक इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड बता रहे हैं। वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि इस पर और ज्यादा परीक्षण करके इसकी अवधि बढ़ाई जाएगी, जो भविष्य में कृत्रिम सूर्य का काम करेगी। 

कृत्रिम सूरज की दिशा में काम कर रहा चीन 

साउथवेस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स की लैब में इस प्रोजक्ट के प्रभारी गोंग जियानजू के मुताबिक, वर्ष 2021 में ही इस डिवाइस को 120 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान पर 101 सेकेंड तक गर्म रखने में सफलता हासिल कर ली गई थी और अब यह अवधि 1056 सेकेंड तक पहुंच गई है। चीनी वैज्ञानिकों के दावे पर गौर करें तो यह बात तो सही है कि चीन कृत्रिम सूरज की दिशा में काम कर रहा है और उसकी योजना भी है कि सफलता मिलने के बाद इसे स्पेस में प्रक्षेपित किया जाएगा, मगर बीते इसे स्पेस में प्रक्षेपित कर दिया गया है ऐसा कोई दावा चीन की सरकार, वैज्ञानिकों या फिर वहां न्यूज एजेंसियों की ओर से नहीं किया गया है। ऐसे में आसमान में कृत्रिम सूरज चमकने के सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे पूरी तरह गलत और भ्रामक हैं।