सार
ट्विटर पर से एनआरपी को लेकर बजट पेश करने के दावे किए जा रहे हैं। जब से ये खबर सामने आई हैं कि, देश में एनआरसी से पहले एनआरपी आएगा तब से नेटिज़न्स इ पर जमकर फोटोज और वीडियोज शेयर कर रहे हैं।
नई दिल्ली. सोशल मीडिया पर नेशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) को लेकर एक पोस्ट जमकर वायरल हो रहा है। पोस्ट में दावा किया जा रहा है सरकार ने अब एनपीआर को लेकर 8, 500 करोड़ का बजट तैयार किया है। इसके एनआरसी से पहले देश में एनपीआर लागू किया जाएगा जिसके तहत बजट भी घोषित कर दिया गया है। इस मामले में पत्रकारों सहित बहुत से लोगों ने ट्वीट करना शुरू कर दिया। मिरर की पत्रकार ने ट्वीट किया, केंद्र जीएसटी के लिए राज्य सरकारों को पैसा देने में कटौती कर रही है तो ऐसे में इस जनसंख्या रजिस्टर में 8,754 करोड़ रुपये देने की जल्दबाजी क्यों? जबकि देश पहले से ही आर्थिक सुस्ती से गुजर रहा है।
वायरल पोस्ट में क्या है?
ट्विटर पर से एनआरपी को लेकर बजट पेश करने के दावे किए जा रहे हैं। जब से ये खबर सामने आई हैं कि, देश में एनआरसी से पहले एनआरपी आएगा तब से नेटिज़न्स इ पर जमकर फोटोज और वीडियोज शेयर कर रहे हैं। इस नियम को लेकर काफी आलोचना भी की जा रही है। जिसके तहत एक ट्वीट वायरल हो रहा है जिसमें एनआरपी के बजट का बजट 8,500 करोड़ रुपये बताया जा रहा है।
दावा क्या किया जा रहा ?
दरअसल एनपीआर देश के निवासियों का एक रजिस्टर है जिसमें नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव / उप नगर), उपखंड, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जानकारी इकट्ठा करना शामिल है। एनपीआर का उद्देश्य देश में हर सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है। इस नियम को लेकर सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि सरकार एनआरपी लागू करने में करीब 8 हजार 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके लिए बजट आवंटित हो चुका है।
दावे की सच्चाई क्या है?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस पोस्ट में एनआरपी के बजट को लेकर जो दावा किया जा रहा है वह पूरी तरह फर्जी और झूठा है। अब कैसे ये बताने के लिए आपको एएनआई की खबर का हवाला देते हैं, दरअसल सच्चाई यह है कि 8,5000 राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के लिए आवंटित सही राशि नहीं है। ये तो सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने के लिए 2021 के बाद से भारत की जनगणना में हुई 8,754.23 करोड़ की बढ़ोत्तरी के लिए 3 3,941.35 करोड़ खर्च को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। 8,500 का आंकड़ा है न कि धनराशि है।
ये निकला नतीजा
एक प्रेस कॉनफ्रेंस में जावड़ेकर ने कहा कि एनपीआर को सभी राज्यों ने पहले ही स्वीकार कर लिया है। “यह कोई नई बात नहीं है। ऐसा हर तीन साल में होना होता है। वहीं इसके लिए असली धनराशि 3,941.35 करोड़ है इसमें झूठे दावों पर भरोसा नहीं करना है।