MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • Religion
  • Spiritual
  • Ganesh Utsav 2022: श्रीगणेश ने कब-कब कौन-सा अवतार लिए? क्या आप जानते हैं इनसे जुड़ी रोचक कथाएं

Ganesh Utsav 2022: श्रीगणेश ने कब-कब कौन-सा अवतार लिए? क्या आप जानते हैं इनसे जुड़ी रोचक कथाएं

उज्जैन. इन दिनों गणेश उत्सव (Ganesh Utsav 2022) की धूम पूरे देश में मची हुई है। 9 सितंबर को गणेश विसर्जन के साथ ही गणेश उत्सव का समापन हो जाएगा। लेकिन इसके पहले हर कोई गणेशजी की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास जरूर करेगा। श्रीगणेश से जुड़ी की कथाएं धर्म ग्रंथों में मिलती है। गणपति ने भी समय-समय पर कई अवतार (Ganesh Ji Avtar) लिए हैं, जो लेकिन बहुत कम लोग इनके बारे में जानते हैं। आज हम आपको भगवान श्रीगणेश के 8 अवतारों के बारे में बता रहे हैं, इनकी कथा इस प्रकार है…  

4 Min read
Manish Meharele
Published : Sep 06 2022, 09:39 AM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
18

पौराणिक कथाओं के अनुसार मत्सरासुर नाम का एक दैत्य शिव भक्त था। उसने शिव की पूजा करके कई वरदान प्राप्त कर लिए। उसके दो पुत्र भी थे सुंदरप्रिय और विषयप्रिय, ये दोनों भी बहुत अत्याचारी थे। वरदान पाकर वे सभी देवताओं पर अत्याचार करे लगे। तब सभी देवता शिवजी के कहने पर श्रीगणेश के पास गए। देवताओं की आराधना से प्रसन्न होकर गणपति ने वक्रतुंड अवतार लिया। वक्रतुंड भगवान ने मत्सरासुर के दोनों पुत्रों का संहार किया और मत्सरासुर को भी पराजित कर दिया। वही मत्सरासुर कालांतर में गणपति का भक्त हो गया। 
 

28

महर्षि च्यवन ने अपने तपोबल से मद की रचना की। वह च्यवन का पुत्र कहलाया। मद ने दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य से दीक्षा ली। शुक्राचार्य ने उसे हर तरह की विद्या में निपुण बनाया। इसके बाद वह सारे देवताओं को प्रताड़ित करने लगा। तब सभी देवताओं ने मिलकर गणपति की आराधना की। तब भगवान गणेश एकदंत रूप में प्रकट हुए। उनकी चार भुजाएं थीं, एक दांत था, पेट बड़ा था और उनका सिर हाथी के समान था। उनके हाथ में पाश, परशु और एक खिला हुआ कमल था। एकदंत ने देवताओं को अभय वरदान दिया और मदासुर को युद्ध में पराजित किया। 
 

38

जब कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मोहासुर नाम के दैत्य को संस्कार देकर देवताओं के खिलाफ खड़ा कर दिया। मोहासुर से मुक्ति के लिए देवताओं ने गणेश की उपासना की। तब गणेश ने महोदर अवतार लिया। महोदर का उदर यानी पेट बहुत बड़ा था। वे मूषक पर सवार होकर मोहासुर के नगर में पहुंचे तो मोहासुर ने बिना युद्ध किये ही गणपति को अपना इष्ट बना लिया। 
 

48

जब भगवान विष्णु ने जलंधर के नाश के लिए उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया तो उससे एक दैत्य उत्पन्न हुआ, कामासुर। कामासुर ने शिव की आराधना करके त्रिलोक विजय का वरदान पा लिया। इसके बाद उसने अन्य दैत्यों की तरह ही देवताओं पर अत्याचार करने शुरू कर दिए। तब सारे देवताओं ने भगवान गणेश का ध्यान किया। तब भगवान गणपति ने विकट रूप में अवतार लिया। विकट रूप में भगवान मोर पर विराजित होकर अवतरित हुए। उन्होंने देवताओं को अभय वरदान देकर कामासुर को पराजित किया। 
 

58

एक बार धनराज कुबेर भगवान शिव-पार्वती के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर गए। वहां पार्वती को देख कुबेर के मन में कामप्रधान लोभ जागा। उसी से लोभासुर का जन्म हुआ। उसने शिवजी प्रसन्न कर निर्भय होने का वरदान दिया। इसके बाद लोभासुर ने सारे लोकों पर कब्जा कर लिया। तब सारे देवताओं को गणेश की उपासना की, जिससे प्रसन्न होकर श्रीगणेश ने गजानन रूप में दर्शन दिए और लोभासुर को युद्ध के लिए संदेश भेजा। शुक्राचार्य की सलाह पर लोभासुर ने बिना युद्ध किए ही अपनी पराजय स्वीकार कर ली।  

68

समुद्रमंथन के समय भगवान विष्णु ने जब मोहिनी रूप लिया तो शिव उन पर मोहित हो गए। उनका वीर्य स्खलित हुआ, जिससे एक काले दैत्य की उत्पत्ति हुई। इस दैत्य का नाम क्रोधासुर था। क्रोधासुर ने सूर्य की उपासना करके ब्रह्माण्ड विजय का वरदान ले लिया। वरदान पाकर वो युद्ध करने निकल पड़ा। तब गणपति ने लंबोदर रूप धरकर उसे रोक लिया। क्रोधासुर को समझाया और उसे ये आभास दिलाया कि वो संसार में कभी अजेय योद्धा नहीं हो सकता। क्रोधासुर ने अपना विजयी अभियान रोक दिया और सब छोड़कर पाताल लोक में चला गया। 
 

78

एक बार देवी पार्वती अपनी सखियों के साथ बातचीत के दौरान जोर से हंस पड़ीं। उनकी हंसी से एक विशाल पुरुष की उत्पत्ति हुई। पार्वती ने उसका नाम मम (ममता) रख दिया। वह वन में तप के लिए गया तो वहां शम्बरासुर ने उसे कई आसुरी शक्तियां सीखा दीं। मम ने गणपति को प्रसन्न कर ब्रह्माण्ड का राज मांग लिया। वरदान पाकर ममासुर ने देवताओं के बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया। तब देवताओं ने गणेश की उपासना की। गणेश विघ्नराज के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने ममासुर का घमंड तोड़ा और देवताओं को छुड़वाया। 
 

88

एक बार सर्यदेव को छींक आ गई और उससे एक दैत्य की उत्पत्ति हुई। उसका नाम था अहम। वो शुक्राचार्य के समीप गया और उन्हें गुरु बना लिया। वह अहम से अहंतासुर हो गया। उसने खुद का एक राज्य बसा लिया और भगवान गणेश को तप से प्रसन्न करके वरदान प्राप्त कर लिए। उसने भी बहुत अत्याचार और अनाचार फैलाया। तब गणेश ने धूम्रवर्ण के रूप में अवतार लिया। उनका वर्ण धुंए जैसा था। वे विकराल थे। उनके हाथ में भीषण पाश था जिससे बहुत ज्वालाएं निकलती थीं। धूम्रवर्ण ने अहंतासुर का पराभाव किया। उसे युद्ध में हराकर अपनी भक्ति प्रदान की। 
 

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved