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पाकिस्तान के ये 5 प्राचीन मंदिर आज भी हैं लोगों की आस्था का केंद्र, इस शक्तिपीठ पर मुस्लिम भी झुकाते हैं सिर
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ये मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगोल नदी और हिंगोल नेशनल पार्क के बीच में स्थित है। ये मंदिर देवी सती के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि हिंगलाज शक्तिपीठ में देवी सती का सिर गिरा था। इस मंदिर में भगवान शिव भीमलोचन भैरव के रूप में विराजमान हैं। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है। यहां हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी माथा टेकते हैं। वे इस मंदिर को नानी का मंदिर कहते है। एक प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए स्थानीय मुस्लिम जनजातियां, तीर्थयात्रा में शामिल होती हैं और तीर्थयात्रा को नानी का हज कहते हैं।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित भगवान शिव के ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण छठी शताब्दी से नवीं शताब्दी के बीच माना जाता है। कटासराज मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से लगभग 40 कि.मी. की दूरी पर कटस में एक पहाड़ी पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल (त्रेतायुग) में भी था। इस मंदिर से जुड़ी पांडवों की कई कथाएं प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि वनवास के दौरान कुछ समय पांडवों ने यहां बिताया था। यहां स्थिति कुंड के बारे में कहा जाता है कि ये कुंड महादेव के आंसुओं से बना है।
पाकिस्तान में स्थित जल के देवता वरुण का ये मंदिर बहुत ही लोकप्रिय है। 1947 में बंटवारे के समय इस मंदिर पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया था और यहां पूजा-पाठ भी बंद कर दी गई थी। लेकिन हिंदू काउंसिल की वजह से वर्ष 2007 में इस मंदिर को फिर से खोल दिया गया। ये मंदिर 1000 साल पुराना बताया जाता है।
पाकिस्तान के प्रमुख हिंदू मंदिरों में राम मंदिर भी काभी प्रसिद्ध है। ये मंदिर सैयदपुर नामक स्थान है, जो पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के नजदीक है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना राजा मानसिंह द्वारा सन 1580 में की गई थी। बंटवारे के बाद ये मंदिर पाकिस्तान में चला गया। आज भी यहां हजारों की में भक्त आते हैं और भगवान श्रीराम की पूजा और दर्शन कर खुद को धन्य समझते हैं।
कराची में हनुमान जी का प्राचीन हनुमान मंदिर है। इसे पंचमुखी हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां रोज हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में हनुमान जी की पांच मुख वाली सुंदर मूर्ति देखते ही बनती है। हालांकि रखरखाव के अभाव में ये मंदिर थोड़ा जीर्ण-शीर्ण हो गया है लेकिन लोगों की आस्था अब भी इसमें बनी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि ये मंदिर लगभग 1500 साल पुराना है।