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Karwa Chauth Puja: क्यों करते हैं करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा? जानें ऐसी ही 3 परंपराओं में छिपे रहस्य
करवा चौथ महिलाओं का सबसे प्रिय त्योहार है। इस पर्व का महिलाओं को खास इंतजार रहता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, करवा चौथ (karva chauth 2022) का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इस बार ये तिथि 13 अक्टूबर, गुरुवार को है। इस पर्व से जुड़ी कई परंपराएं हैं जो इसे खास बनाती हैं। आज हम आपको इस पर्व से जुड़ी कुछ ऐसी ही परंपराओं के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है-
| Published : Oct 13 2022, 07:55 AM IST / Updated: Oct 13 2022, 09:13 AM IST
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करवा चौथ पर पत्नी पहले चंद्रमा को और बाद में अपने पति को छलनी से देखती हैं। हालांकि ये परंपरा कुछ ही स्थानों पर निभाई जाती हैं। इस परंपरा के पीछे कोई धार्मिक या वैज्ञानिक कारण नहीं है, लेकिन मनोवैज्ञानिक कारण जरूर है। जब पत्नी अपने पति को छलनी से देखती है तो इसका अर्थ है कि “मैंने अपने मन के सभी अच्छे-बुरे विचारों को इस छलनी में छानकर पवित्र कर लिया है। अब मेरे मन में सिर्फ आपके लिए प्रेम ही शेष है। यही मैं आपको समर्पित करती हूं।”
करवा मिट्टी से बनता है, इसे हवा में सुखाया जाता है और फिर आग में तपाया जाता है और जब इसमें पानी डाला जाता है तो ये पंचतत्वों का प्रतीक बन जाता है। भारतीय संस्कृति में पंचतत्वों को परमात्मा का स्वरूप माना गया है। जब पति अपनी पत्नी को करवे से पानी पिलाकर उसका व्रत पूर्ण करता है तो ये माना जाता है कि पंच तत्व इस अमर प्रेम से साक्षी हैं।
करवा चौथ की सुबह व्रत करने वाली महिलाएं कुछ खास चीजें खाती हैं जिसे सरगी कहा जाता है। इन खास चीजों में सूखे मेवे, मिठाई आदि चीजें होती हैं। ये चीजें बहुओं को इसलिए खिलाई जाती है ताकि दिन भर भूखे रहने के दौरान उनमें एनर्जी बनी रहे और वे ये व्रत ठीक तरह से पूरा कर सके। खाने की ये चीजें सास द्वारा बहू को दी जाती है जिससे सास-बहू के बीच का रिश्ता और भी मधुर होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा मन का कारक है यानी मन में जितने भी विचार आते-जाते हैं इनका कारण चंद्रमा ही होता है। करवा चौथ पर चंद्रमा अपनी उच्च राशि और सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होता है। इस स्थिति में चंद्रमा वैवाहिक जीवन के लिए बहुत ही शुभ फल प्रदान करता है। इसलिए चंद्रमा की पूजा की जाती है कि जैसे चंद्रमा और रोहिणी का प्रेम अमर है, उसी तरह हमारा प्रेम भी अमर रहे।
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