गुप्त नवरात्र में किस दिन देवी के कौन-से स्वरूप की पूजा करनी चाहिए, जानिए
| Published : Jul 04 2019, 06:17 PM IST / Updated: Jul 12 2019, 11:03 AM IST
गुप्त नवरात्र में किस दिन देवी के कौन-से स्वरूप की पूजा करनी चाहिए, जानिए
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गुप्त नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही सोचे गए सभी काम पूरा करने के लिए प्रेरणा मिलती है।
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गुप्त नवरात्र का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है।
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गुप्त नवरात्र के चौथे दिन की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है।
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गुप्त नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करती हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं।
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गुप्त नवरात्र के छठे दिन आदिशक्ति श्री दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी की पूजा-अर्चना का विधान है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं।
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महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। मां का यह स्वरूप काल का नाश करने वाला है, इसीलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्र के सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है।
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गुप्त नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां दुर्गा का आठवां रूप श्रीमहागौरी हैं। देवी के इस स्वरूप का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।
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गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।