MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • Religion
  • Spiritual
  • नर्मदा किनारे स्थित है ये ज्योतिर्लिंग, यहां दर्शन किए बिना अधूरे हैं सारे तीर्थ

नर्मदा किनारे स्थित है ये ज्योतिर्लिंग, यहां दर्शन किए बिना अधूरे हैं सारे तीर्थ

उज्जैन. 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर का स्थान चौथा है। यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को ममलेश्वर व अमलेश्वर भी कहते हैं। यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। नर्मदा क्षेत्र में ओंकारेश्वर सर्वश्रेष्ठ तीर्थ है। मान्यता के अनुसार यमुना में 15 दिन का स्नान तथा गंगा में 7 दिन का स्नान जो फल प्रदान करता है, उतना पुण्यफल नर्मदा के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है।कैसे पहुंचे? यहां से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर में है। यहां से सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। इंदौर से खंडवा जाने वाली छोटी लाइन से ओंकारेश्वर जाने के लिए ओंकारेश्वर रोड नामक स्टेशन पर उतरें। वहां से ओंकारेश्वर के लिए आसानी से बसें व अन्य साधन मिल जाते हैं। इंदौर से ओंकारेश्वर के लिए सीधी बसें भी आसानी से मिल जाती हैं। खंडवा से ओंकारेश्वर की दूरी लगभग 72 किमी है। खंडवा से भी ओंकारेश्वर के लिए बसें व टैक्सी मिलती हैं।

2 Min read
Asianet News Hindi
Published : Feb 19 2020, 06:41 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
15
ये है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा: शिवपुराण के अनुसार एक बार नारद मुनि पर्वतराज विंध्य के पास आए। नारद मुनि को आया देख विंध्य ने उनका आदरपूर्वक सत्कार व पूजन किया। विंध्य को इस बात का अभिमान था कि उसके उसे कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होती। उसके मन का भाव जानकर नारद मुनि ने कहा कि तुम्हारे यहां सबकुछ है, लेकिन मेरु पर्वत तुमसे बहुत ऊंचा है, उसके शिखर देवलोक में भी दिखाई देते हैं। नारद मुनि के ऐसा कहने पर विंध्य का अभिमान दूर हो गया और वह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगा। विंध्य की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उसे वरदान मांगने के लिए कहा। तब विंध्य ने भगवान शिव से कहा कि मेरी बुद्धि सदा आपके ध्यान में लगी रहे, ये वरदान दीजिए। भगवान शिव ने विंध्य को ये वरदान दे दिया। तभी वहां बहुत से देवता व ऋषि आए और उन्होंने महादेव से कहां कि आप यहां स्थिर रूप से निवास करें। भगवान शिव ने उनकी बात मान ली और उसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर हो गए।
25
जिस पर्वत पर यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है वहां ऊँ की आकृति दिखाई देती है। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम ओंकारेश्वर है।
35
धर्म ग्रंथों के अनुसार, यहां 68 तीर्थ स्थित हैं। यहां 33 करोड़ देवता परिवार सहित निवास करते हैं।
45
कहते हैं कि पूर्व में देवी अहिल्याबाई होलकर की ओर से यहाँ रोज मिट्टी के 18 हजार शिवलिंग तैयार कर उनका पूजन करने के पश्चात नर्मदा में विसर्जित कर दिया जाता था।
55
मान्यता है कि कोई भी तीर्थयात्री देश के भले ही सारे तीर्थ कर ले, किन्तु जब तक वह ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल लाकर यहां नहीं चढ़ाता, उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं।

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved