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31 साल में हुआ था त्र्यम्बकेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार, यहां होती है कालसर्प दोष निवारण की पूजा
| Published : Feb 20 2020, 03:54 PM IST
31 साल में हुआ था त्र्यम्बकेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार, यहां होती है कालसर्प दोष निवारण की पूजा
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ऋषि गौतम ने तपस्या की थी इस स्थान पर: शिवपुराण के अनुसार प्राचीनकाल में त्र्यम्बक गौतम ऋषि की तपोभूमि थी। अपने ऊपर लगे गोहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने कठोर तप कर शिव से गंगा को यहां अवतरित करने का वरदान मांगा। फलस्वरूप दक्षिण की गंगा अर्थात गोदावरी नदी का उद्गम हुआ। गोदावरी के उद्गम के साथ ही गौतम ऋषि द्वारा प्रार्थना करने पर शिवजी ने इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर होना स्वीकार किया। तीन नेत्रों वाले शिवशंभु के यहां विराजमान होने के कारण इस जगह को त्र्यम्बक (तीन नेत्रों वाले) कहा जाने लगा।
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इस मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, ब्रह्मा, विष्णु और शिव- इन तीनों देवों के प्रतीक माने जाते हैं।
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इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी अर्थात नाना साहब पेशवा ने करवाया था।
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इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1755 में शुरू हुआ था और 31 साल के लंबे समय के बाद 1786 में जाकर पूरा हुआ।
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कहा जाता है कि इस भव्य मंदिर के निर्माण में करीब 16 लाख रुपए खर्च किए गए थे, जो उस समय काफी बड़ी रकम मानी जाती थी।