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देवी दुर्गा के स्वरूप से जुड़े हैं ये अस्त्र-शस्त्र, इनमें भी छिपे हैं लाइफ मैनेजमेंट के खास सूत्र
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देवी के हाथ में सुशोभित तलवार की तेज धार ज्ञान का प्रतीक है। ये ज्ञान सभी संदेहों से मुक्त है। तलवार की चमक बताती है कि ज्ञान के रास्ते पर कोई संदेह नहीं होता है।
शंख की आवाज सकारात्मकता, उत्साह और पवित्रता की सूचक है। शंख की आवाज से शरीर में गुंजने वाली कंपन से उत्साह और सकारात्मकता पैदा होती है। इन दोनों से ही हर काम सफल होता है।
देवी की पहली उंगली में चक्र इस बताता है कि ताकत और पराक्रम से हर काम करना चाहिए। बिना डरे कोई भी काम करने पर उसमें असफलता की आशंका नहीं रहती।
तीर-धनुष ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी तरह मां दुर्गा के हाथ में धारण वज्र दृढ़ता का प्रतीक है। जो मनुष्य कि शक्ति और क्षमता को दिखाता है।
कमल कीचड़ में रहकर उससे अछूता रहता है, उसी प्रकार मनुष्य को भी सांसारिक कीचड़, वासना, लोभ, लालच से दूर रहना चाहिए। विपरीत परिस्थितियों में धैर्य के साथ कर्म करने से सफलता मिलती है।
त्रिशूल के तीन नुकीले सिरे सात्विक, तामसिक और राजसिक प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इन गुणों पर पूरी तरह काबू रखने का संदेश देते हैं।
देवी को समर्पित चीजों में लाल रंग को अग्नि तत्व ग्रह सूर्य और मंगल ग्रह की अनुकंपा बनाए रखने के लिए रखा जाता है। ये रंग उत्साह बढ़ाता है। जिससे हर काम में सफलता मिलती है।
शेर को उग्रता और हिंसक प्रवृत्तियों का प्रतीक माना गया है। देवी के शेर पर सवार होने का ये अर्थ है कि जो उग्रता और हिंसक प्रवृत्तियों पर काबू रखना चाहिए। मां दुर्गा यही संदेश देती हैं कि जीवन में बुराई पर नियंत्रण कर हम भी शक्ति संपन्न बन सकते हैं।