- Home
- Religion
- Spiritual
- Shani Jayanti 2022: कहीं शनिदेव ने की तपस्या, तो कहीं धरती से निकली प्रतिमा, ये हैं शनिदेव के 5 प्रसिद्ध मंदिर
Shani Jayanti 2022: कहीं शनिदेव ने की तपस्या, तो कहीं धरती से निकली प्रतिमा, ये हैं शनिदेव के 5 प्रसिद्ध मंदिर
- FB
- TW
- Linkdin
कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर (Kashtbhanjan Hanuman Mandir, Sarangpur)
शनिदेव के प्रसि्दध मंदिरों में ये भी एक है। ये मंदिर गुजरात के भावनगर में सांरगपुर नामक स्थान पर है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां की प्रतिमा है। ये मंदिर मूल रूप से वैसे तो हनुमानजी का है, लेकिन यहां हनुमानजी की प्रतिमा के पैरों में शनिदेव स्त्री रूप में बैठे हैं। ऐसी प्रतिमा कहीं और देखने को नहीं मिलती है। यहां दर्शन करने से शनि दोष से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही हनुमानजी भी प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं।
कैसे पहुंचें?
सारंगपुर के पास में गुजरात का बड़ा शहर भावनगर है। दोनों जगहों के बीच मात्र 82 किलोमीटर की दूरी है। भावनगर रेल मार्ग, सड़क मार्ग और वायु मार्ग से देश के हर हिस्से से जुड़ा है। यहां आकर सारंगपुर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्र (Shani Shingnapur, Maharashtra)
शनि मंदिरों की बात हो तो और महाराष्ट्र के शिंगणापुर स्थित शनि मंदिर का नाम न आए, ऐसा संभव नहीं है। अगर इसे देश का सबसे प्रसिद्ध गणेश मंदिर कहा जाए तो गलत नहीं होगा। ये मंदिर देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध है। न जाने कहां-कहां से लोग यहां शनिदेव के दर्शन कर खुद को धन्य समझते हैं और परेशानियां दूर करने के लिए शनिदेव से प्रार्थना करते हैं। इस मंदिर में एक चबूतरे पर शिला स्थापित है, जिस पर कोई छत भी नहीं है। इसी शिला को शनिदेव के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर से लगभग 35 कि.मी. की दूरी पर है। जिस गांव में शनिदेव का ये मंदिर स्थापित हैं वहां लोग अपने घरों पर ताले नहीं लगाते। मान्यता है कि स्वयं शनिदेव उनके घरों की रक्षा करते हैं।
कैसे पहुंचें?
महाराष्ट्र सड़क, रेल मार्ग और वायु मार्ग से देश के हर हिस्से से जुड़ा है। शनि शिंगणापुर से निकटतम रेलवे स्टेशन राहुरी (32 किमी) है। शनि शिंगणापुर का निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद है जो यहां से 90 किमी की दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग से भी आसानी से शनि शिंगणापुर पहुंचा जा सकता है।
शनि मंदिर, उज्जैन (Shani Mandir, Ujjain)
शनि मंदिरों की श्रृंखला में उज्जैन का शनि मंदिर भी काफी प्रसि्द्ध है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने की थी। इस मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा के साथ-साथ अन्य ग्रह भी लिंग रूप में स्थापित हैं। इसलिए इस मंदिर को नवग्रह मंदिर भी कहा जाता है। शनिश्चरी अमावस्या पर लाखों की संख्या में भक्त दर्शन और पूजा के लिए आते हैं और अपने पुराने कपड़े और जूते यहीं छोड़ जाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से शनि दोष खत्म होगा। मंदिर के पास ही क्षिप्रा नदी बहती हुई दिखाई देती है।
कैसे पहुंचें?
उज्जैन से सबसे नजदीक का एयरपोर्ट यहां से लगभग 60 किमी दूर इंदौर में हैं। इंदौर से उज्जैन आने के लिए रेल व सड़क मार्ग उपलब्ध हैं। उज्जैन रेलवे स्टेशन सभी प्रमुख स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। उज्जैन शहर सभी राष्ट्रीय राजमार्गों से जुआ है। सड़क मार्ग द्वारा भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
शनि मंदिर, इंदौर (Shani Mandir, Indore)
मध्य प्रदेश के इंदौर में शनिदेव का प्राचीन मंदिर हैं। जनश्रृति है कि इस मंदिर में जो प्रतिमा स्थापित है वो धरती से प्रकट हुई है। शनिदेव की कृपा से ही इस प्रतिमा की खोज करने वाले पंडित की आंखों की रोशनी लौट आई। आमतौर पर शनिदेव की प्रतिमा काले पत्थर की होती है और उस पर कोई श्रृंगार नहीं होता, लेकिन यहां रोज शनिदेव का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है और शाही कपड़े भी पहनाए जाते हैं। ये मंदिर अपनी प्राचीनता और चमत्कारी किस्सों के लिए प्रसिद्ध है।
कैसे पहुचें?
इंदौर मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में से एक है। यहां हवाई अड्डा भी है, साथ ही रेल और सड़क मार्गों से भी ये देश के हर हिस्से से जुड़ा हुआ है। इंदौर पहुंचकर शनि मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
शनि मंदिर, कोसीकलां (Shani Temple, Kosikalan)
शनिदेव का और एक और प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में कोसीकलां नामक स्थान पर है। जिस स्थान पर ये मंदिर है, वहां कभी घना जंगल हुआ करता था, इसलिए इस स्थान को कोकिलावन के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में दर्शन करने से शनिदेव के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है। मान्यता है कि यहां परिक्रमा करने से मनुष्य की सारी परेशानियां दूर हो जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने कोयल के रूप में शनिदेव को दर्शन दिए थे और वरदान दिया था कि जो व्यक्ति यहां आकर मंदिर की परिक्रमा करेगा उसे शनिदेव कष्ट नहीं पहुंचाएंगे।
कैसे पहुंचें?
कोसी कलां पहुचने से पहले आपको मथुरा तक आने होगा। मथुरा-दिल्ली नेशनल हाइवे पर मथुरा से 21 किलोमीटर दूर कोसीकलां गांव पड़ता है। यहां से एक रास्ता नंदगांव तक आता है, वहीं से कोकिला वन शुरू हो जाता है।