नीति शतक: ये 5 आदतें बन सकती हैं आपकी परेशानी का कारण, इन्हें आज ही छोड़ दें
उज्जैन. भर्तृहरि किसी समय उज्जयिनी यानी वर्तमान उज्जैन के राजा थे। बाद में उन्होंने राजपाठ छोड़कर संन्यास ले लिया। भर्तृहरि ने नीति शतकम्, वैराग्य शतकम्, श्रृंगारशतक आदि ग्रंथों की रचना की थी। नीति शतकम् में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं। नीति शतक में मनुष्यों की कुछ बुरी आदतों के बारे में बताया गया है, जो भविष्य में परेशानी का कारण बन सकती हैं। आज हम आपको उन्हीं बुरी आदतों के बारे में बता रहे हैं…
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1. दया न करना
धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि दया करना मनुष्य होने की प्रथम निशानी है। यानी जिस व्यक्ति के मन में दया का भाव नहीं होता, वह पूर्णता मनुष्य नहीं होता। जो व्यक्ति दया नहीं करता वो अपनी इस आदत के कारण कभी-न-कभी परेशानी में अवश्य फंसता है।
2. अकारण शत्रु बनाना
कुछ लोग बिना कारण या छोटी-छोटी बातों पर ही दूसरे लोगों को अपना शत्रु बना लेते हैं। ऐसे लोग सभ्य समाज में रहते हुए भी उससे अलग होते हैं। इनकी यही आदत इन्हें परेशानी में डाल सकती है।
3. पराए धन को पाने की कोशिश करना
दूसरे के धन पर नजर रखना ठीक नहीं होता। ऐसे धन को पाने के लिए कुछ लोग गलत काम करने से भी नहीं हिचकते। कई बार ये लोग कामयाब भी हो जाते हैं, लेकिन इनकी ये आदत किसी भी समय इनके बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है।
4. मित्रों और परिवार की मदद न करना
अगर आप समर्थ हैं तो विपत्ति के समय मित्रों और परिवार वालों की मदद जरूर करना चाहिए। ऐसा न करने पर आप स्वयं के लिए उनके मन में कटुता का भाव भर देते हैं। ये स्थिति आपके लिए ठीक नहीं है, इसलिए जब भी अपने किसी मित्र या परिवार वालों को मदद की आवश्यकता हो, पीछे नहीं हटना चाहिए।
5. हमेशा गुस्से में रहना
कुछ लोगों की आदत होती है कि वो हमेशा गुस्से में रहते हैं। इस वजह से न तो उनकी परिवार में किसी से बात बनती हैं और न ही बाहर के लोगों से। ऐसा लोग अपनी इस आदत के कारण कई बार परेशान भी होते हैं।