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Dussehra 2022: रावण से जुड़े ये 6 रहस्य चौंका देंगे आपको, कोई मानता है सच-कोई झूठ

Myths Related To Ravana: इस बार 5 अक्टूबर, बुधवार को विजयादशमी यानी दशहरे का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में रावण के पुतलों का दहन किया जाता है। ये परंपरा सालों से चली आ रही है।

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Manish Meharele
Published : Oct 04 2022, 10:45 AM IST| Updated : Oct 04 2022, 03:01 PM IST
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ये है सच्चाई- रामेश्वरम को लेकर मान्यता है कि श्रीराम के बुलावे पर रावण ने इस शिवलिंग की स्थापना करवाई थ। जबकि वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि समुद्र पर सेतु बनाने से पहले श्रीराम ने ही उस शिवलिंग की स्थापना की थी। इस भ्रांति से जुड़ा एक तथ्य ये भी है कि रावण के वध के बाद अयोध्या लौटते समय ऋषियों के कहने पर राम ने वहां शिवलिंग की स्थापना करके ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई थी।
 

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ये है सच्चाई- कहते हैं कि रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का हरण नहीं किया, लेकिन ये सच नहीं है। सच्चाई ये है कि जब शूर्पणखा ने रावण के सामने सीता की सुदंरता का वर्णन किया, तो उसके मन में सीता को प्राप्त करने की लालसा जाग उठी। इसलिए रावण ने सीता का हरण किया।
 

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ये है सच्चाई- रावण के बारे में कहा जाता है कि रावण कभी किसी से नहीं हारा। जबकि ये पूरी सच्चाई नहीं है। रावण भगवान श्रीराम के अलावा और 3 योद्धाओं से हार चुका था। ये 3 थे पाताल लोक के राजा बलि, महिष्मति के राजा कार्तवीर्य अर्जुन और वानरराज बालि। रावण जिनसे भी हारता, उनसे संधि कर लेता था।
 

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ये है सच्चाई- ये भी एक मिथक है कि रावण बहुत संयमी था, उसने देवी सीता के साथ बल प्रयोग नहीं कियाज जबकि इसका कारण दूसरा है। ग्रंथों के अनुसार, कुबेर के पुत्र नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया था कि यदि रावण ने किसी स्त्री के साथ दुराचार करने की कोशिश की या अपने महल में रखा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे। इसी डर के कारण रावण ने सीता को अपने महल में नहीं रखा।
 

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ये है सच्चाई- लंका के बारे में एक कथा प्रचलित है कि इसे भगवान शिव ने अपने रहने के लिए बनवाया था और इसका काम रावण को सौंपा था। बाद में रावण ने दान में शिवजी से लंका ही मांग ली और स्वयं उसमें रहने लगा। जबकि सच्चाई कुछ अलग है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, देवशिल्पी विश्वकर्मा ने लंका का निर्माण राक्षसों के लिए ही किया था। उनके जाने के बाद वहां कुबेरदेव रहने लगे। बाद में रावण ने कुबेर को हराकर लंका पर अधिकार कर लिया।
 

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ये है सच्चाई- धर्म ग्रंथों के अनुसार, रावण राक्षसों का राजा था, इसलिए अधिकांश लोग यही मानते हैं कि रावण राक्षस जाति का था, लेकिन सच्चाई ये है कि रावण एक मुनि का संतान था। रावण के पिता का नाम विश्रवा मुनि और माता का नाम कैकसी था।  रावण के पिता परम तपस्वी ब्राह्मण थे, जबकि माता राक्षस जाति की थी। रावण का अधिकांश समय अपने माता के परिवार यानी राक्षस जाति के लोगों के बीच गुजरा। रावण के नाना सुमाली ने ही उसे राक्षसों का नायक बनाया। लंका पर अधिकार कर रावण ने वहां राक्षस जाति के लिए नगर बसाया।


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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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