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केंद्र की Scrappage policy से बस कारोबारियों को फायदा, ट्रांसपोर्ट यूनियन ने किया विरोध का ऐलान, देखें प्लान
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केंद्र सरकार ने दावा किया है कि इस पॉलिसी से अनफिट और प्रदूषण (unfit and polluting vehicles) फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने में मदद मिलेगी। यह नीति भी नए वाहनों की डिमांड और एक circular economy को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
सरकार ने दावा किया कि इससे वाहन निर्माताओं के लिए उत्पादन लागत कम हो जाएगी क्योंकि धातु को रिसाइकिल की गई धातुओं और भागों का उपयोग नए वाहनों में किया जा सकता है, इससे प्रोडक्शन कॉस्ट और वाहन की कीमतों में कमी आएगी। इसका लाभ कस्टमर को मिलेगा।
व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत केंद्र सरकार ने कहा था कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के बाद खरीदे जाने वाले नए वाहनों के लिए रोड टैक्स पर 25 प्रतिशत तक टैक्स छूट प्रदान करेंगे।
वाहनों को नामित स्क्रैपेज केंद्रों (designated scrappage centres) पर स्क्रैप किया जाएगा, जहां से वाहन मालिकों को सर्टिफिकेट दिया जाएगा। यह सबमिट करने पर कि नए वाहन की खरीद के दौरान, वे सरकार से कर छूट प्राप्त कर सकते हैं। वाहन निर्माताओं ने भी इस पॉलिसी का वेलकम किया और उनका मानना है कि इससे नए वाहनों की मांग बढ़ेगी।
केंद्रीय बजट 2021-2022 में घोषित, एच वाहन परिमार्जन नीति (h vehicle scrappage policy) में निजी वाहनों के लिए 20 साल बाद फिटनेस टेस्टिंग कंपलसरी है। कमर्शियल वाहनों को 15 साल पूरे होने के बाद फिटनेस टेस्ट देना होगा।
वाहन कबाड़ नीति के बारे में बोलते हुए, दिल्ली-एनसीआर परिवहन यूनियनों ने कहा कि लगभग 30 करोड़ लोग परिवहन व्यवसाय (transportation business) से जुड़े हैं।
यूनियनों के अनुसार, मौजूदा वाहन कबाड़ नीति से इन लोगों की आजीविका को प्रभावित करेगी। यूनियनों ने यह भी कहा कि वे नीति के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।