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रवि किशन के पिता का अंतिम संस्कार, भोजपुरी एक्टर बोला अपने भगवान से दूर होकर अकेला हो गया हूं
| Published : Jan 02 2020, 12:45 PM IST / Updated: Jan 05 2020, 10:00 AM IST
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गोरखपुर सदर सांसद रवि किशन के पिता का वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि बुधवार सुबह 10 बजे रवि किशन वाराणसी पहुंचे थे।
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रवि के पिता की दोपहर में बीएचयू से मणिकर्णिका घाट तक शव यात्रा निकाली गई। शव यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए।
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मणिकर्णिका घाट पर पिता के अंतिम संस्कार में बड़े भाई रामशुक्ल ने मुखाग्नि दी। इस दौरान शव यात्रा में वाराणसी के जिला अध्यक्ष हंश राज विश्वकर्मा महानगर अध्यक्ष विद्या सागर राय, स्वच्छ भारत मिशन के अध्यक्ष विरेंद्र तिवारी, ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष सूड्डू महाराज, वाराणसी कैंट विधायक सौरभ चंद्र श्रीवास्तव सहित कई लोग मौजूद थे।
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पिता के निधन पर रवि किशन भावुक हो गए थे। रवि किशन ने कहा- 'यही हमारी दुनिया थे, आज वे साथ नहीं हैं। मेरा कोई गुरु नहीं था। न ही मैंने भगवान को देखा है। आध्यात्म से लेकर जीवन जीना पिता जी ने ही मुझे सिखाया। वो मेरे गुरु भी थे और भगवान भी। आज मैं बहुत अकेला हो गया हूं। वो दो महीने से बीमार भी थे। आज मेरे सिर से बड़ा साया चला गया। 31 तारीख हर साल आएगी लेकिन शब्दों में नहीं बता सकता कि मैंने क्या खो दिया।'
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पिछले कई महीनों से मुंबई में उनका इलाज चल रहा था। हालांकि तबीयत में सुधार नहीं होता देख उन्होंने वाराणसी में अपना शरीर त्यागने की इच्छा जताई थी।
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रवि किशन के पिता को 15 दिन पहले वाराणसी लाया गया था। रवि किशन ने अपने जीवन में पिता को ही अपना गुरु माना था। इसके अलावा उन्होंने किसी को अपना गुरु नहीं माना।
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रवि किशन का जन्म मुंबई के सांताक्रूज इलाके में एक छोटी सी चाल में हुआ था लेकिन वे मूल रुप से जौनपुर के रहने वाले हैं।
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उनके पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला मुंबई में पुरोहित थे और उनका डेयरी का छोटा सा बिजनेस था।
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रवि किशन जब 10 साल के थे तब उनके पिता का उनके चाचा के साथ विवाद हो गया और कारोबार बंद कर दोनों को जौनपुर लौटना पड़ा।
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रवि किशन यहां करीब सात साल तक रहे लेकिन पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था। उन्हें मुंबई की याद आती थी।