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टूटी-फूटी स्लेट से सीखा था ककहरा, नौकरी छोड़ने के बाद ऐसे CM बने थे जीतन राम मांझी, ये है पूरी कहानी
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जीतन राम मांझी का जन्म 6 अक्तूबर 1944 को गया जिले के खिजरसराय प्रखंड के महकार गांव में हुआ। उनके पिता रामजीत राम मांझी खेत मजदूर थे। वह बचपन में सुकरी देवी और पिता के साथ गांव के ही एक जमींदार के घर में चाकरी करते थे।
एक इंटरव्यू में जीतनराम मांझी ने कहा था कि एक गुरुजी जब जमींदार के बच्चे को पढ़ाने आते थे तो वह भी उत्सुक्तावश उन चीजों को ध्यान से सुनते थे, जो बच्चों को बताया जाता था। पढ़ाई में रुचि देखकर उन्हें जमींदार के बच्चों ने फूटी स्लैट दे दी, ताकि वह लिख पढ़ सकें। इसी तरह उन्होंने ग्रेजुएशन किया और फिर टेलीफोन विभाग में नौकरी कर ली।
(फाइल फोटो)
एक दशक तक नौकरी करने के बाद जब छोटा भाई पुलिस अधिकारी बना तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सीधे विधानसभा चुनाव में कूद गए। जीते और मंत्री भी बने। तब से उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
साल 1980 में कांग्रेस की टिकट पर फतेहपुर क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे मांझी चंद्रशेखर सिंह की सरकार में तुरंत मंत्री बन गए थे। मुख्यमंत्री बनने से पहले बिंदेश्वरी दुबे, सत्येंद्र नारायण सिन्हा, जगन्नाथ मिश्र, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के मुख्यमंत्रीत्व काल में भी बतौर मंत्री काम किया है।
साल 1990 में कांग्रेस के अवसान को भांप कर वह जनता दल में शामिल हो गए थे। छह साल बाद ही वह राजद में शामिल हुए। 2005 में जब जदयू के दिन फिरे तो वह जदयू के साथ आ गए।
(फाइल फोटो)
2015 के सत्ता संघर्ष में नीतीश कुमार से मात खाने के बाद उन्होंने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा नामक अपनी पार्टी बना ली। महागठबंधन में शामिल होने के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें तो कोई कामयाबी नहीं मिली, अलबत्ता राजद की मदद से अपने बेटे संतोष सुमन को एमएलसी बनवाने में कामयाब हो गए।
(फाइल फोटो)
कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले मांझी कई बार पाला बदल चुके हैं। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान जेडीयू की करारी हार पर सीएम नीतीश कुमार के कुर्सी छोड़ने के बाद जीतन राम मांझी सीएम बने थे। वे सियासत में सिद्धांत से ज्यादा समय को अहमियत देते रहे हैं। अब चुनावों के ऐन पहले मांझी एनडीए में शामिल हुए हैं।