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कभी भूजा खाकर बिताते थे रातें, ऐसे बने थे केंद्र सरकार में मंत्री,काफी दिलचस्प है रघुवंश प्रसाद सिंह की कहानी
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राजनीतिक के जानकार बताते हैं कि अहमदाबाद के एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने दिसंबर 1973 में मेस का बढ़ा हुआ बिल देने से मना कर दिया, जो आंदोलन का रूप ले ली। पूरे देश में छात्र आंदोलन शुरू हो गए। बिहार के सीतामढ़ी में छात्रों के आंदोलन को धार देने का काम गोयनका कॉलेज में गणित पढ़ाने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह कर रहे थे, जो संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जिला सचिव भी थे।
(फाइल फोटो)
1974 में एक समय ऐसा भी था, जब गणित के प्रोफेसर रहे रघुवंश प्रसाद सिंह को छात्र आंदोलन में पुलिस गिरफ्तार कर लिया। तीन माह बाद जेल से बाहर आए तो मकान मालिक सीताराम सिंह ने घर खाली करने के लिए कह दिया। इसके बाद रेलवे लाइन के पास के अपने कमरे को छोड़कर कॉलेज के हॉस्टल आ गए। (फाइल फोटो)
छात्रों के बीच उस समय कुछ किताबें, एक जोड़ी धोती-कुर्ता और एक गमछे के अलावा संपति के नाम रघुवंश प्रसाद सिंह के पास कुछ नहीं था। रघुवंश प्रसाद के करीबी बताते हैं कि तनख्वाह इतनी भी नहीं थी कि घर पर खर्च भेजने के बाद दोनों समय कायदे से खाना खाया जा सके। (फाइल फोटो)
जून 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में रघुवंश प्रसाद सिंह सीतामढ़ी की बेलसंड सीट से निर्वाचित हुए। उनकी जीत का सिलसिला 1985 तक चलता रहा। 1996 के लोकसभा चुनाव में लालू यादव के कहने पर वैशाली से लोकसभा चुनाव लड़ गए और जीतने में कामयाब रहे। इस तरह वह पटना से दिल्ली आ गए। (फाइल फोटो)
1999 में जब लालू प्रसाद यादव हार गए तो रघुवंश प्रसाद को दिल्ली में राष्ट्रीय जनता दल के संसदीय दल का अध्यक्ष बनाया गया था।(फाइल फोटो)
रघुवंश प्रसाद सिंह को 2014 में लगातार वैशाली में पांच जीत के बाद हार का सामना करना पड़ा था। इस समय राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पार्टी सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव के संकटमोचक रहे डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह इन दिनों नाराज चल रहे थे।
(फाइल फोटो)