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बिहारः8वीं से लेकर डॉक्टरेट तक पढ़ाई करने वाले बने हैं मंत्री,जानिए किसपर है कितने केस और किसके पास कितनी दौलत
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बताते चले कि बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव हुआ था, जिसमें एनडीए ने 125 सीट हासिल कर बहुमत से सरकार बनाई, जबकि महागठबंधन को 110 और अन्य को 8 सीटे मिली थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नई सरकार के सभी मंत्री करोड़पति हैं। इनकी औसत संपत्ति 3.93 करोड़ की है। अब आइये जानते हैं सीएम से लेकर उनके सभी 14 कैबिनेट मंत्रियों के बारे में विस्तार से।
इंजीनियरिंग तक पढ़ाई करने वाले सीएम नीतीश कुमार साल 1985 में पहली बार नालंदा जिले की हरनौत सीट से विधायक बने। उसके बाद 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार 6 बार लोकसभा चुनाव जीता। अटल सरकार में कृषि मंत्री रहे। 3 मार्च 2000 को पहली बार सीएम बने। 2006 से विधान परिषद के सदस्य हैं। उनके पास 3.34 करोड़ रुपए हैं और ऊनपर एक मामला दर्ज है।
बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद साल 1980 से राजनीति में हैं। बीएनएम यूनिवर्सिटी के सीनेट सदस्य रहे हैं। 12 वीं तक पढ़ाई करने वाले डिप्टी सीएम अक्टूबर 2005 से लगातार चौथी बार कटिहार से विधायक बने हैं। उनके पास 1.89 करोड़ रुपए हैं।
बिहार की पहली महिला डिप्टी सीएम बनी रेणु देवी 2000 से लेकर 2010 तक यहां से लगातार चार बार विधायक बनीं। 2015 में कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी से महज 2,320 वोटों से हार गई थीं। इस बार मदन मोहन तिवारी को ही 18,079 वोटों से हराकर 5वीं बार विधायक बनीं। 12 वीं तक पढ़ाई की हैं। उनके पास 3.69 करोड़ रुपए की संपत्ति है। बता दें कि उनके खिलाफ 2 क्रिमिनल केस भी दर्ज है।
मुकेश सहनी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के संस्थापक हैं। पहले बॉलीवुड में स्टेज डिजाइनर थे। साल 2015 के चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार किया था। बाद में खुद की पार्टी बनाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा थे। इस बार सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव लड़ा, लेकिन राजद के युसुफ सलाहुद्दीन से महज 1,759 वोटों से हार गए। फिर भी वे नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल हैं। 8वीं पास मुकेश सहनी के ऊपर 5 केस दर्ज हैं, इनमें 3 मामलों में आईपीसी की गंभीर धाराएं लगी हुई हैं। इनमें कई मामलों में चार्ज फ्रेम हो चुका है। ये 12.11 करोड़ से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं।
रामसूरत राय ग्रेजुएट तक पढ़ाई किए हैं। इनपर तीन क्रिमिनल केस हैं और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वो नीतीश सरकार के सबसे अमीर मंत्री हैं, जिनके पास 26.88 करोड़ की दौलत है। इन्होंने 2009 में उपचुनाव से राजनीतिक करियर शुरू किया, लेकिन हार गए। 2010 में भाजपा में शामिल होने के बाद विधायक बने। सात साल पहले राय तब चर्चा में आए थे जब नक्सलियों ने उनसे लेवी (एक तरह से टैक्स) मांगी थी।
शीला मंडल पहली बार फुलपरास सीट से विधायक बनी हैं। नीतीश सरकार में इन्हें मंत्री भी बनाया गया है। ग्रेजुएट तक पढ़ाई करने वाली शीला मंडल के पास 6.09 करोड़ की दौलत है।
जीवेश मिश्रा ग्रेजुएट तक पढ़ाई किए हैं, जिनपर पांच आपराधिक मामले दर्ज हैं। वो 3.57 करोड़ की संपत्ति के मालिक है। जीवेश मिश्रा इस बार बीजेपी कोटे से दूसरी बार जाले से विधायक बने हैं। भूमिहार जाति से आते हैं। उन्होंने कांग्रेस के मस्कूर उस्मानी को हराया है। मस्कूर उस्मानी पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष थे। छात्र संघ का अध्यक्ष रहते उन पर अपने ऑफिस में जिन्ना की तस्वीर लगाने का आरोप लगा था।
अमरेंद्र प्रताप सिंह ग्रेजुएट तक पढ़ाई किए हैं। उनके पास 2.08 करोड़ रुपए की दौलत है। वो 6वीं बार विधायक बने हैं। राजनीति की शुरुआत जनसंघ से की। आरा से चौथी बार विधायक बने हैं। इनके पिता स्व. बिहारी प्रसाद सिंह थे, जो स्वतंत्रता सेनानी और किसान थे। पहली बार उन्होंने 1991 में झारखंड की जमशेदपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें वो हार गए थे।
अशोक चौधरी बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। मार्च 2018 में जेडीयू में आए। डॉक्टरेट तक की शिक्षा ग्रहण करने वाले अशोक चौधरी के पास 2.06 करोड़ रुपए की दौलत हैं। वे इससे पहले नीतीश-लालू की दोस्ती वाली सरकार में ये शिक्षा मंत्री रहे थे। पिछले एक-दो साल में जो नेता नीतीश कुमार के काफी नजदीक हुए उसमें अशोक चौधरी भी हैं।
मुंगेर जिले के तारापुर से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। इससे पहले 2010 में उनकी पत्नी नीता चौधरी यहां से विधायक थीं। राजनीति में आने के पहले वो कुलपति थे, उस समय असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में घोटाले का आरोप लगा था। इस समय अंतरिम जमानत पर बाहर आए हैं। डॉक्टरेट तक की पढ़ाई करने वाले शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी के पास 12.31 करोड़ की संपत्ति है।
मंगल पांडेय ग्रेजुएट तक पढ़ाई किए हैं। उनके पास 1.52 रुपए की संपत्ति हैं। साल 1989 में भाजपा में शामिल हुए। उन्हें 2005 में राज्य भाजपा का महासचिव बनाया गया। 2012 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बनाए गए। वर्ष 2013 में उन्हें बिहार भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। पिछली सरकार में भी स्वास्थ्य मंत्री थे।
डॉ. रामप्रीत पासवान डॉक्टरेट तक की पढ़ाई किए हैं। इनके पास 1.05 करोड़ की संपत्ति है, जबकि उनपर एक क्रिमिनल केस दर्ज है। वह चार बार के विधायक हैं। पहले दो बार खजौली सीट से विधायक बने। बाद में राजनगर से लगातार दो बार जीते। पहले भी नीतीश सरकार में मंत्री रहे हैं
संतोष सुमन मांझी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे है। बिना विधानसभा चुनाव लड़े इस बार नीतीश सरकार में मंत्री बनाए गए हैं। हालांकि वो विधान परिषद के सदस्य हैं। संतोष मांझी हम पार्टी के प्रधान महासचिव और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। डाक्टरेट तक पढ़ाई किए हैं। उनके ऊपर एक क्रिमिनल केस हैं और वो 2.57 करोड़ रुपए के मालिक हैं।
विजय चौधरी सातवीं बार विधायक बने हैं। 1982 के उपचुनाव में दलसिंहराय से राजनीतिक करियर शुरू किया। पिछली सरकार में वो बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे। 2010 में ललन सिंह के बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। ग्रेजुएट तक पढ़ृाई करने वाले मंत्री विजय चौधरी के पास 2.11 करोड़ रुपए हैं।
बिजेंद्र प्रसाद यादव 12वीं तक पढ़े हैं। उनके पास 2.24 करोड़ रुपए की संपत्ति है। वो 1990 में पहली बार जनता दल के टिकट पर सुपौल सदर सीट से पहली बार विधायक बने। 8वीं बार विधायक बने हैं। 2005 में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रहे। बिहार सरकार में कई विभागों में मंत्री रहे हैं। नई विधानसभा के सबसे उम्रदराज (74 साल) विधायक हैं।