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बिहार के ये हैं लालः 22 की उम्र में बेटा बना था IAS,पिता ने घर बेचकर कराई थी पढ़ाई,पेट्रोल पंप पर करते थे काम
पटना (Bihar) । बिहार में संघर्ष से मुकाम हासिल करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। इनमें एक नाम मनोज सिंह (Manoj Singh) का भी लिया जाता है, जो गोपालपुर (Gopalpur) के रहने वाले हैं और वे घर चलाने के लिए पेट्रोल पंप पर काम करते थे। उन्होंने अपने बेटे प्रदीप सिंह ( Pradeep Singh ) को आईएएस (IAS) बनाने की कोचिंग कराने के लिए घर तक बेच दिया था। वहीं. बेटा भी महज 22 साल की उम्र में ही सपना साकार करते हुए आईएएस बन गया था। हालांकि रैकिंग से संतुष्ट न होने पर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2019 भी थी, जिसमें उन्हें 26वां रैंक हासिल हुआ था।
| Published : Oct 13 2020, 06:29 PM IST / Updated: Oct 13 2020, 06:30 PM IST
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गोपालगंज निवासी मनोज सिंह आर्थिक रूप से बहुत कमजोर थे। लेकिन, उनका सपना था कि उनका बेटा प्रदीप आईएएस बने। इसके लिए वो पेट्रोल पंप तक पर काम करते थे।
फाइल फोटो
प्रदीप जब पांच साल के थे तब उनका परिवार गोपालगंज से इंदौर जाकर रहने लगा था। प्रदीप ने स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सर्विसेस की तैयारियां शुरू कर दी थी।
बताते हैं कि प्रदीप तैयारी के लिए दिल्ली आना चाहते थे, मगर परिवार की आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं थी। ऐसे में पिता ने घर बेचकर बेटे को कोचिंग करवाई थी।
(फाइल फोटो)
प्रदीप ने पिछले साल यानि यूपीएससी परीक्षा 2018 में भी सफलता हासिल की थी। उस समय अपने पहले ही प्रयास में प्रदीप 93वां स्थान हासिल कर महज 22 की उम्र में आईएएस बने और भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में बतौर असिस्टेंट कमिश्नर तैनात हुए। लेकिन, वो फिर से यूपीएससी की परीक्षा देना चाहते थे, जिसमें फिर पिता ने साथ दिया।
(फाइल फोटो)
प्रदीप ने यूपीएससी 2019 की परीक्षा में फिर भाग्य आजमाया और इस बार 26 रैंक हासिल किए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परीक्षा के दौरान प्रदीप के मां तबीयत भी बिगड़ गई थी। जिसकी पिता ने उन्हें भनक तक नहीं लगने दी थी।
(फाइल फोटो)